जब आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं तो आपका सैलरी अकाउंट खोला जाता है, जिस पर आपको कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं. इनमें से तमाम सुविधाओं के बारे में लोग नहीं जानते हैं.  इन्‍हीं में से एक है सैलरी अकाउंट पर मिलने वाली ओवरड्राफ्ट की सुविधा, जो आपके लिए काफी मददगार हो सकती है. मुश्किल समय में पैसों की जरूरत को आप ओवरड्राफ्ट सुविधा के जरिए आसानी से पूरा कर सकते हैं. जानिए क्‍या है सैलरी ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी.

क्‍या है सैलरी ओवरड्राफ्ट

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ओवरड्राफ्ट एक तरह का लोन होता है, जो आपको सैलरी अकाउंट पर भी मिल सकता है. इसके तहत आप जरूरत के समय अपने सैलरी अकाउंट से ज्यादा रकम निकाल सकते हैं. लेकिन आपको जिस बैंक से ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिल रही है, उसी बैंक में आपका सैलरी अकाउंट होना चाहिए. सैलरी ओवरड्राफ्ट सुविधा के तहत आप अपने खाते से सैलरी से करीब दो से तीन गुना रकम लोन के तौर पर बैंक से ले सकते हैं. भले ही आपके अकाउंट में बैलेंस न हो, लेकिन आप अकाउंट से रकम की निकासी कर सकते हैं. इस तरह की सुविधा को शार्ट-टर्म लोन भी कहा जाता है. 

हर बैंक के अपने अलग-अलग नियम

सैलरी ओवरड्राफ्ट को लेकर हर बैंक के अपने अलग-अलग नियम होते हैं. कुछ बैंक आपके वेतन के दो से तीन गुना तक ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करते हैं, वहीं कुछ बैंक महीने की सैलरी का 80 से 90 फीसदी तक ही यह सुविधा देते हैं. सैलरी ओवरड्राफ्ट के तहत आपको जो भी पैसा दिया जाता है, वो आपके रिकॉर्ड को देखकर दिया जाता है. इसमें आपको ब्‍याज का भुगतान भी करना होता है. लेकिन इसकी ब्‍याज दर क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम होती है. जितना अमाउंट आप अकाउंट से निकालते है, उसे एक निश्चित अवधि के अंदर चुकाना होता है. ब्‍याज डेली बेसिस पर कैलकुलेट होता है.

ये है फायदा

पर्सनल लोन की तुलना में सस्‍ता होने के अलावा ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी का एक फायदा ये है कि अगर आप इसे तय समय से पहले चुकाते हैं तो आपको प्रीपेमेंट चार्ज नहीं देना पड़ता है. जबकि पर्सनल लोन में आपको प्रीपेमेंट चार्ज देना होता है.. इसके अलावा जितने समय तक आपके पास ओवरड्राफ्ट अमाउंट रहा है, ब्‍याज भी उतने ही समय का देना पड़ता है.

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