अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल के सोमवार को इस्तीफा देने को एक 'खतरनाक चलन' करार दिया है. हालांकि, पहले संघ ने भी पटेल के इस्तीफे की मांग की थी. एआईबीईए के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने कहा, "आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल का इस्तीफा हैरान और परेशान करने वाला है. उनके इस्तीफे के कारण स्पष्ट हैं और यह एक खतरनाक चलन का संकेत हैं कि आरबीआई जैसे संस्थान अब स्वतंत्र नहीं हैं."

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वेंकटचलम ने कहा कि ऐसे वक्त में जब एक मजबूत और स्वतंत्र मकी जरूरत है, ऐसे में इस महत्वपूर्ण संस्थान को केंद्र सरकार द्वारा डराया धमकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार आरबीआई को कमजोर करने में लगी है और इसे खुद की राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लचीला बना रही है. एआईबीईए की पहले पटेल के इस्तीफे की मांग के बारे में पूछे जाने पर वेंकटचलम ने कहा, "हम नीरव मोदी के मुद्दे पर निष्क्रियता को लेकर उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. यह अलग मुद्दा है. यह आरबीआई को कमजोर करने का प्रयास है."

विवाद सुलझाने की कोशिशें भी हुईं

उर्जित ने 4 सितंबर, 2013 में आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था. पिछले महीने उनके इस्तीफा देने की खबर आई थी लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो गया था. पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पिछले माह मुलाकात की थी. दोनों के बीच इस विवाद को सुलझाने को लेकर एक फॉर्मूला भी तय हुआ था. इस फॉर्मूले के तहत आरबीआई से पैसे मांगने को लेकर केंद्र नरमी बरतेगा और दूसरी तरफ आरबीआई भी सरकार को कर्ज देने में थोड़ी ढिलाई बरतेगा.

सवाल टाल गए थे पटेल 

पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद होने वाले संवाददाता सम्मेलन में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच चल रही खींचतान पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था, "मैं इन सवालों से बचना चाहूंगा क्योंकि हम मौद्रिक नीति समीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं.