Udgam Portal: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरवार को कहा कि बिना दावे वाली राशि के बारे में जानकारी देने वाला उद्गम पोर्टल से 30 बैंक जुड़ गये है. इससे लोगों को बिना दावे वाली राशि का पता लगाने के साथ उसके बारे में दावा करने में मदद मिलेगी. आरबीआई ने 17 अगस्त को उद्गम (बिना दावे वाली जमाराशियां- जानकारी तक पहुँचने का गेटवे) पोर्टल शुरू किया था. इसका मकसद लोगों को एक ही स्थान पर कई बैंकों में बिना दावे वाली जमा राशि खोजने की सुविधा प्रदान करना है. 

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शुरू में, यह सुविधा सात बैंकों के साथ शुरू की गयी थी. उस समय आरबीआई ने कहा था कि 15 अक्टूबर तक चरणबद्ध तरीके से इसमें और बैंकों को शामिल किया जाएगा. केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा, ‘‘लोगों को सूचित किया जाता है कि 28 सितंबर, 2023 को पोर्टल पर 30 बैंकों से जुड़ी जानकारी की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. यह जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) निधि में बिना दावे वाली जमाराशि के लगभग 90 प्रतिशत को ‘कवर’ करता है.’’ 

कौन-कौन से बैंक हैं शामिल?

30 बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के सभी प्रमुख बैंक शामिल है. इसके अलावा, सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और एचएसबीसी जैसे विदेशी बैंक तथा निजी क्षेत्र के बैंकों में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक शामिल हैं. 

वेब पोर्टल को इस रूप से तैयार किया गया है, जिससे लोग बिना दावे वाली राशि/खातों के बारे में पता कर सके और जमा राशि का दावा कर सके या अपने जमा खातों को संबंधित बैंकों में चालू कर सके. रिजर्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड, भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाएं और भाग लेने वाले बैंकों ने पोर्टल विकसित किया है.

SBI के पास है सबसे ज्यादा अनक्लेम्ड डिपॉजिट

उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फरवरी, 2023 तक बिना दावे वाली लगभग 35,000 करोड़ रुपये की जमा राशि आरबीआई को अंतरित की थी. ये वे खाते थे, जिसमें पिछले 10 साल या उससे अधिक समय से लेन-देन नहीं हुए थे. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में सबसे ज्यादा 8,086 करोड़ रुपये की बिना दावे वाली राशि है. इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (5,340 करोड़ रुपये), केनरा बैंक (4,558 करोड़ रुपये) और बैंक ऑफ बड़ौदा (3,904 करोड़ रुपये) का स्थान है. सामान्य प्रक्रिया में, किसी बैंक में जमा राशि पर 10 साल तक कोई दावा नहीं आने पर उसे रिजर्व बैंक के ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता’ कोष में स्थानांतरित कर दिया जाता है.

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