SBI ने Tier 2 बॉन्ड से जुटाए 4,000 करोड़, बेस इश्यू साइज का 5 गुना हुआ था सब्सक्रिप्शन
SBI Tier- 2 Bond: SBI ने एक बयान जारी कर बताया बॉन्ड इश्यू में निवेशकों की जोरदार प्रतिक्रिया देखी गई. इसमें 9,647 करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं, जो 2,000 करोड़ रुपये के बेस इश्यू साइज के मुकाबले करीब पांच गुना है.
SBI Tier- 2 Bond: सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 7.57 फीसदी के कूपन रेट पर बॉन्ड जारी करके 4,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. यह रकम बेसल-3 मानकों के अंतर्गत टियर-2 बॉन्ड जारी करके जुटाई गई है. एसबीआई के बॉन्ड इश्यू को निवेशकों का जबरदस्त रिस्पांस मिला है. बेस इश्यू साइज के मुकाबले करीब 5 गुना बोलियां मिली थीं.
SBI ने एक बयान जारी कर बताया बॉन्ड इश्यू में निवेशकों की जोरदार प्रतिक्रिया देखी गई. इसमें 9,647 करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं, जो 2,000 करोड़ रुपये के बेस इश्यू साइज के मुकाबले करीब पांच गुना है. एसबीआई का कहना है कि यह देश के सबसे बड़े बैंक में निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है. बैंक ने निवेशकों की रिस्पांस के आधार पर 7.57 फीसदी सालाना के कूपन रेट पर 4,000 करोड़ रुपये जुटाने का फैसला किया. सालाना कूपन रेट का भुगतान 15 साल के टेन्योर के लिए होगा. इसमें निवेशकों को 10 साल के बाद और एनिवर्सिरी डेट पर कॉल ऑप्शन मिलेगा.
एसबीआई के मुताबिक, घरेलू रेटिंग एजेसिंयों ने बॉन्ड के लिए AAA (stable) क्रेडिट रेटिंग दी है. बेसल- 3 कैपिटल रेगुलेशन के अंतर्गत, बैंकों को ग्लोबल मानकों के मुताबिक अपनी कैपिटल प्लानिंग प्रोसेसेज को बेहतर और मजबूत बनाने की जरूरत है. बैंकों के लिए यह मानक एसेट क्वालिटी पर संभावित दबाव की चिंताओं और इसके चलते उनके मुनाफे और परफॉर्मेंस पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए लागू किया गया है.
SBI ने हाल ही में 7.72 फीसदी के कूपन रेट पर बेसल कम्प्लायंट एडिशनल टियर 1 (AT1) बॉन्ड के जरिए 4,000 करोड़ रुपये जुटाए थे. कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी के नए रेग्युलेशन लागू होने के बाद घरेलू बाजार में यह पहला AT1 बॉन्ड है. नए नियम इस साल मार्च में जारी किए गए थे.
क्या होते हैं टियर-2 बॉन्ड
टियर टू बॉन्ड एक तरह का डेट (subordinated debt) होता है. बैंक या कंपनी के लिक्विडेशन या दिवालिया होने के बाद टियर 2 बॉन्ड होल्डर का बैंक या कंपनी की संपत्ति पर पहला दावा नहीं होता है. टियर 2 बांड लंबी अवधि के निवेश और बैंक लायबिलिटी का एक रूप है. टियर 2 बॉन्ड की कम से कम मैच्योरिटी 5 साल की होती है. बैंक के नजरिए से टियर 2 कैपिटल को अक्सर अपर और लोअर टियर 2 कैपिटल में बांटा जाता है. अपर टियर 2 कैपिटल की प्राथमिक विशेषतायह है कि यह टियर 1 कैपिटल से सीनियर है और इसमें कम जोखिम होता है.