सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने आईएमपीएस (IMPS), निफ्ट (NEFT) और आरटीजीएस (RTGS) चार्ज खत्म कर दिए हैं. एसबीआई ने एक बयान में कहा कि उसने पूरे देश में डिजिटल प्लेटफार्म योनो, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग ग्राहकों के लिए 1 जुलाई से 2019 से ये सभी चार्ज खत्म कर दिए हैं. इससे एसबीआई के ग्राहकों को बहुत फायदा होगा और वे पूरे देश में कहीं भी, कभी भी पैसे भेज सकेंगे और इसके लिए उन्हें कोई चार्ज नहीं देना होगा. एसबीआई ने आगे कहा कि 1 अगस्त 2019 से इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और योनो ग्राहकों के लिए IMPS चार्ज भी खत्म कर दिया जाएगा. 

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एसबीआई के 6 करोड़ इंटरनेट बैकिंग  ग्राहक हैं जबकि 1.41 करोड़ लोग मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं. बैंक के डिजिटल प्लेटफॉर्म योनो को 1 करोड़ ग्राहक इस्तेमाल करते हैं. एसबीआई 10 हजार रुपए तक ट्रांसफर करने के लिए 2.5 रुपए लेता था. वहीं 10 हजार से 1 लाख रुपए तक 5 रुपए NEFT चार्ज है. इसके साथ ही एसबीआई ने ब्रांच से NEFT और RTGS ट्रांजैक्शन करने वालों के लिए 20 प्रतिशत फीस घटा दी है. एसबीआई ने डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ाने के लिए ये कदम उठाया है.

इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने आदेश दिया था कि आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली के जरिये पैसा भेजने पर कोई शुल्क न लिया जाए. रिजर्व बैंक ने 1 जुलाई से आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली से लेनदेन पर शुल्क हटाने की घोषणा की थी. रिजर्व बैंक ने इसी के साथ बैंकों को उसी दिन से ग्राहकों को नई व्यवसथा का लाभ देने के लिए कहा है. रीयल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) प्रणाली का इस्तेमाल बड़ी राशि के लेनदेन के लिए उपयोग किया जाता है. वहीं नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) प्रणाली का उपयोग दो लाख रुपये तक की राशि के लेनदेन के लिए होता है.

देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बैंक ने नंदन नीलेकणि की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी. समिति ने ऑनलाइन लेनदेन पर इस तरह के शुल्क हटाने की सिफारिश की थी जिसके बाद केंद्रीय बैंक ने यह निर्णय लिया था. रिजर्व बैंक ने एटीएम से लेनदेन पर बैंकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्कों की समीक्षा के लिए भी भारतीय बैंक संघ के कार्यकारी प्रमुख वी. जी. कन्नन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है. इसकी रिपोर्ट जल्द ही सामने आएगी.