एक लाख रुपये से कम के डिपॉजिट्स और लोन्स पर SBI ने लिया ये फैसला, आप रहेंगे फायदे में
SBI के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि एक लाख रुपये से कम के लोन्स और जमा धन पर ब्याज कोष की सीमांत लागत आधारित दर (MCLR) से ही जुड़ा रहेगा ताकि खुदरा ग्राहकों को बाजार की अनिश्चितताओं से बचाया जा सके.
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में बड़ी राशि की जमाओं तथा शॉर्ट टर्म लोन्स के लिये ब्याज दरों को रिजर्व बैंक की रेपो रेट से जोड़ने के फैसले के एक दिन बाद बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि एक लाख रुपये से कम के लोन्स और जमा धन पर ब्याज कोष की सीमांत लागत आधारित दर (MCLR) से ही जुड़ा रहेगा ताकि खुदरा ग्राहकों को बाजार की अनिश्चितताओं से बचाया जा सके. बैंक ने शुक्रवार को कहा था कि वह एक लाख रुपये से अधिक के जमा खातों और सभी नकद ऋण खातों और ओवरड्राफ्ट या एक लाख रुपये से ऊपर के अल्पकालिक कर्ज को रेपो रेट से जोड़ेगा. वर्तमान में रिजर्व बैंक की रेपो रेट 6.25 प्रतिशत है. नई दरें 1 मई से लागू होंगी. रिजर्व बैंक ने यह व्यवस्था पहली बार लागू की है.
ये बैंक सेविंग्स अकाउंट पर देते हैं 6 फीसदी तक ब्याज
वर्तमान में कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आरबीएल बैंक और डीबीएस बैंक ग्राहकों को बचत खाते पर 5-6 प्रतिशत तक का ब्याज देता है जबकि एसबीआई समेत अन्य सार्वजनिक बैंक और एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और अन्य निजी बैंक 4 प्रतिशत का ब्याज देते हैं.
1 लाख रुपये से अधिक के डिपॉजिट्स को रेपो रेट से जोड़ेगा SBI
SBI ने कहा कि वह बचत बैंक खातों में एक लाख रुपये से अधिक की जमा पर ब्याज को रेपो रेट से जोड़ेगा. 1 मई से ऐसे खातों में एक लाख रुपये से अधिक की जमा पर 3.5 प्रतिशत की दर से ब्याज देगा जो वर्तमान रेपो दर से 2.75 प्रतिशत कम होगी. बैंक ने सभी नकद ऋण खातों और एक लाख रुपये से अधिक की ओवरड्राफ्ट सीमा वाले खातों को भी रेपो रेट से जोड़ दिया है. उन पर ब्याज रेपो से 2.25 प्रतिशत ऊंची रहेगी.
इसलिए एक लाख रुपये से कम के लोन और डिपॉजिट् रेपो रेट से नहीं किए लिंक
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से अलग से बातचीत में कुमार ने बताया कि हमने जिस श्रेणी (के लोन्स को) को बाहरी मानक (रेपो रेट) से जोड़ा है , वह सबसे अच्छी श्रेणी है. एक लाख रुपये और उससे कम के खातों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है क्योंकि हमारा मानना है कि खुदरा ग्राहकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से जूझने को मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. "
उन्होंने कहा कि दु्निया भर में कहीं भी खुदरा ऋण को सिर्फ बाजार कारकों पर नहीं छोड़ा जाता है और ज्यादातर कॉरपोरेट खातों की कीमत (ब्याज) ही बाजार पर छोड़ी जाती है. कुमार ने कहा कि एसबीआई के रिटेल लोन्स का मूल्य (ब्याज) निर्धारण एमसीएलआर के अनुसार है और यह प्रणाली अच्छी तरह से काम कर रही है और यह व्यवस्था आगे भी बनी रहेगी. उन्होंने कहा , " फिलहाल खुदरा ऋण एमसीएलआर से जुड़ा रहेगा. यदि लोन लॉन्ग टर्म का हो तो आप बार-बार इसका मूल्य - निर्धारण नहीं कर सकते है ... ऐसे में एमसीएलआर एक बेहतर समाधान है.
MCLR जितनी कम या ज्यादा नहीं होंगी ब्याज दरें
उन्होंने कहा कि रेपो रेट में बदलाव पर एमसीएलआर ऑटो एडजस्ट होगा लेकिन उन्होंने कहा कि रेपो में 0.25 प्रतिशत की कमी होने पर एमसीएलआर 0.25 कम नहीं होगा. यह कमी इस बात पर निर्भर करेगी कि हमारे बैंक की बचत के कितने हिस्से की ब्याज दर बलती है और उसका एमसीएलआर पर कितना प्रभाव पड़ता है. उसके अनुपात में ही एमसीएलआर में भी संशोधन किया जाएगा.