गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) में नकदी की तंग स्थिति के बीच रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को बैंकों को महत्वपूर्ण एनबीएफसी और आवासीय वित्त कंपनियों द्वारा जारी बॉन्ड पर आंशिक गारंटी अथवा ऋण विस्तार की मंजूरी दे दी है. रिजर्व बैंक के इस कदम से इन कंपनियों में नकदी की स्थिति में सुधार आ सकता है. 

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वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि नकदी की स्थिति इसी प्रकार जटिल बनी रही तो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है. ढांचागत ऋण क्षेत्र की कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एण्ड फाइनेंसियल सर्विसेस (आईएलएण्डएफएस) के अपनी देयताओं को पूरा करने में असफल होने से यह स्थिति बनी है. 

शर्त का करना होगा पालन

रिजर्व बैंक की जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘प्रणाली के लिहाज से महत्वपूर्ण नियमित रूप से जमा स्वीकार नहीं करने वाले रिजर्व बैंक के पास पंजीकृत एनबीएफसी और राष्ट्रीय आवास बैंक के पास पंजीकृत आवासीय वित्त कंपनियों द्वारा जारी बॉन्ड पर आंशिक ऋण विस्तार अथवा गारंटी की बैंकों को अनुमति देने का फैसला किया गया है.’’इसमें आगे कहा गया है कि बैंकों से आंशिक ऋण विस्तार से समर्थित बॉन्ड से प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल केवल एनबीएफसी-आवास वित्त कंपनियों के मौजूदा कर्ज के पुनर्वित के लिए ही किया जाना चाहिए.

पहले ही दिया था भरोसा

बीते सितंबर में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि निवेशकों की चिंता को कम करने के लिहाज से सरकार गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और म्यूचुअल फंड में तरलता बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक और बाजार नियामक सेबी ने भी कहा था कि वित्तीय क्षेत्र में हो रहे बदलावों पर वह करीब से नजर रख रहे हैं. निवेशकों की चिंताओं को दूर करने के लिए वे हरसंभव कदम उठाने को तैयार हैं.

(इनपुट एजेंसी से)