RBI Financial Stability Report 2022-23: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) 2022-23 जारी कर दी है. आरबीआई ने कहा है कि बैंकों की नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) रेशियो सितंबर, 2023 में घटकर कई साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए अनुपात 0.8 प्रतिशत पर रहा है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा है कि आरबीआई ने देश की अर्थव्यवस्था के सामने किसी भी जोखिम से निपटने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने को प्रतिबद्ध है.   

RBI Financial Stability Report 2022-23: NBFC की स्थिति हुई है मजबूत, 2.9 फीसदी रहा है संपत्ति पर रिटर्न

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आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के मुताबिक, इस अवधि में बैंकों का ग्रॉस नॉन परफॉर्मेंस एसेट (GNPA) रेशियो भी घटकर कई साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत पर आ गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की स्थिति मजबूत हुई है, ग्रॉस एनपीए रेशियो सितंबर 2023 तक 4.6 प्रतिशत और संपत्ति पर रिटर्न 2.9 प्रतिशत रहा है. मजबूत मैक्रो इकोनॉमिक फंडामेंटल्स के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था, वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है. 

RBI Financial Stability Report 2022-23: रिटर्न ऑफ एसेट्स रहा 2.9 फीसदी, NBFC का CRAR 27.6 फीसदी  

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘सितंबर, 2023 में NBFC का कैपिटल टू रिस्क एसेस्ट्स रेशियो (CRAR) 27.6 प्रतिशत, ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट (GNPA) अनुपात 4.6 प्रतिशत और संपत्ति पर रिटर्न (ROA) 2.9 प्रतिशत पर रहा है.  रिपोर्ट कहती है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबीएस) का जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) 16.8 प्रतिशत और समान इक्विटी टियर-1 (सीईटी1) अनुपात सितंबर, 2023 में 13.7 प्रतिशत था. एफएसआर रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘ऋण जोखिम के लिए वृहद-आर्थिक दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि कॉमर्शियल बैंक न्यूनतम पूंजी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे.'

RBI Financial Stability Report 2022-23: वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है अर्थव्यवस्था, जुझारू बनी है घरेलू वित्तीय प्रणाली 

रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का जिक्र करते हुए कहा गया है कि घरेलू वित्तीय प्रणाली जुझारू बनी हुई है. इसे मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों, वित्तीय संस्थानों के स्वस्थ बैलेंस शीट, महंगाई में नरमी, बाहरी क्षेत्र की स्थिति में सुधार और निरंतर राजकोषीय मजबूती से समर्थन मिल रहा है. हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है जिनमें धीमी वृद्धि, बड़े सार्वजनिक ऋण, बढ़ता आर्थिक विभाजन और लंबे समय तक भू-राजनीतिक संघर्ष की आशंका शामिल हैं.