भारतीय​ रिजर्व बैंक (RBI) ने मुंबई स्थित CKP को-ऑपरेटिव बैंक (CKP Co-operative Bank) का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है. RBI की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस बैंक की वित्तीय स्थिति (financial situation) अत्यधिक जोखिम भरी और अस्थिर है. इसके चलते इस बैंक का कोई मजबूत रिवाइवल या अन्य बैंक के साथ विलय का कोई प्लान नहीं है. 

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बैंक की खराब है स्थिति

आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक  CKP Co-operative Bank की ऐसी स्थिति नहीं है कि वो अपने मौजूदा या ​भविष्य के डिपॉजिटर्स (Depositors) का पैसा चुका सके. साथ ही बैंक तय किए गए न्यूनतम पूंजीगत जरूरतों के नियम का भी उल्लंघन किया है.

मौजूदा स्थिति डिपॉजिटर्स के लिए हानिकारक

रिजर्व बैंक की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, 'आम लोग और डिपॉजिटर्स के हित को ध्यान में रखते हुए बैंक का लाइसेंस (License) कैंसिल कर इसके कारोबार को रोकने का फैसला लिया गया है. आरबीआई के मुताबिक बैंक न सिर्फ मौजूदा डिपॉजिटर्स के लिए हानिकारक है, बल्कि आम लोगों के हित के लिए भी यह सुरक्षित नहीं है.

डिपॉजिटर्स को ज्यादा से ज्यादा 5 लाख रुपये मिल सकेंगे

आरबीआई की ओर से अब बैंक का लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद लिक्विडेशन प्रक्रिया (Liquidation process) शुरू की जाएगी. इसके साथ ही डीआईसीजीसी एक्ट (DICGC Act), 1961 भी प्रभावी होगा. इसके तहत CKP को-ऑपरेटिव बैंक के मौजूदा ग्राहकों और जमाकर्ताओं को पेमेंट किया जाएगा. डीआईसीजीसी के इस नियमों के तहत इस बैंकों के डिपॉजिटर्स को उनके डिपॉजिट के आधार पर अधिकतम 5 लाख रुपये तक दिए जाएंगे.

 

 

क्या है DICGC एक्ट, 1961

DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के प्रावधानों के तहत, अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को उसके खाते के आधार पर पैसे चुकाता है. उसकी जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होता है. ऐसे में खाता धारक को अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिलेंगे. अगर एक ही बैंक में आपके कई खाते हैं और आपका बैंक डूब जाता है तो भी आपको अधिकतम पांच लाख रुपये ही मिलेंगे. इसमें मूलधन और ब्‍याज (Principal and Interest) दोनों को शामिल किया जाता है.

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DICGC के अंतर्गत आते हैं 2,098 बैंक

31 मार्च 2019 तक DICGC के पास डिपॉजिट इंश्योरेंस के तौर पर 97,350 करोड़ रुपये था, जिसमें 87,890 करोड़ रुपये सरप्लस भी शामिल है. DICGC ने 1962 से लेकर अब तक कुल क्लेम सेटलमेंट पर 5,120 करोड़ रुपये खर्च किया है जो कि सहकारी बैंकों के लिए था. डीआईसीजीसी के अंतर्गत कुल 2,098 बैंक आते हैं, जिनमें से 1,941 सहकारी बैंक हैं. अधिकतर इन्हीं बैंकों में लिक्विडेशन की कमी देखने को मिल रही है.