RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने छह महीने तक दो अरब डॉलर की खरीद और बिक्री (Dollar purchase and sale) करने का फैसला लिया है, जिसका मकसद देश के विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में तरलता बनाए रखना और डॉलर की जरूरतों को आसान बनाना है. केंद्रीय बैंक ने इस बाबत का फैसला सोमवार को लिया. आरबीआई के इस कदम से डॉलर के मुकाबले देसी मुद्रा रुपये में जो अस्थिरता देखी जा रही है, उस पर लगाम लगेगी. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने सोमवार को मुंबई में कहा कि कई हिस्सों में नीलामी के जरिए डॉलर की खरीद-बिक्री की जाएगी.

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आरबीआई ने कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) के प्रकोप और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (Crude oil) के दाम में गिरावट के साथ-साथ विकसित देशों में बॉन्ड से होने वाली आय में गिरावट आने के कारण बढ़े जोखिम को कम करने के लिए दुनियाभर के वित्तीय बाजार में बिकवाली का भारी दबाव है. आरबीआई ने कहा, "सभी परिसंपत्तियों में अस्थिरता बढ़ने के कारण उभरते बाजारों की मुद्राओं पर दबाव बना हुआ है. बीते सप्ताह 6 मार्च को विदेशी मुद्रा भंडार 487.24 अरब डॉलर था. आरबीआई ने कहा कि किसी संकट की स्थिति का सामना करने के लिए यह रकम पर्याप्त है.

रुपया 50 पैसे कमजोर हुआ

कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से इसके आर्थिक दुष्परिणामों के कारण अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सोमवार को 50 पैसे टूटकर 74.25 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. अन्तरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 74.10 रुपये प्रति डॉलर पर खुला था. सोमवार को दिन के कारोबार के दौरान यह 74.09 रुपये के उच्च स्तर और 74.35 के निम्न स्तर को छू गया था. शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 73.75 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.

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अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दो सप्ताह से कम समय में दूसरी बार आपात कदम उठाते हुए ब्याज दर में कटौती की है. बैंक ने उधारी दर को शून्य से 0.25 प्रतिशत के दायरे में ला दिया है. वर्ष 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान यह इस स्तर पर पहुंच गई थी.