रिजर्व बैंक ने आज UPI पेमेंट सिस्टम के दायरे का विस्तार करते हुए बड़ा फैसला किया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब ओवरड्रॉफ्ट फेसिलिटी का इस्तेमाल UPI Payment के लिए भी किया जा सकता है. इसका मतलब, अगर किसी अकाउंट होल्डर को ओवरड्रॉफ्ट की सुविधा मिली है तो वह इस क्रेडिट लाइन का इस्तेमाल यूपीआई पेमेंट के लिए कर सकता है. बता दें कि हर बैंक अकाउंट के साथ यह सुविधा नहीं मिलती है. हालांकि, हर बैंक की तरफ से लिमिटेड ग्राहकों को यह सुविधा जरूर मिलती है.

डिजिटल ट्रांजैक्शन में UPI का दबदबा

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रिजर्व बैंक UPI पेमेंट इकोसिस्टम के विस्तार की योजना पर लगातार काम कर रहा है. डिजिटल रीटेल ट्रांजैक्शन में UPI का दबदबा है और 75 फीसदी ट्रांजैक्शन इसकी मदद से किए जाते हैं. अभी तक UPI का इस्तेमाल मुख्य रूप से डिपॉजिट अकाउंट्स की मदद से होता है. अगर आपके अकाउंट में पैसे होंगे तभी यूपीआई की मदद से ट्रांजैक्शन किए जा सकते हैं. रिजर्व बैंक के ताजा आदेश के बाद अगर किसी अकाउंट के साथ क्रेडिट लाइन यानी ओवरड्रॉफ्ट की सुविधा उपलब्ध है तो इस रकम से भी UPI ट्रांजैक्शन किए जा सकते हैं.

कुछ मामलों में वॉलेट से भी यूपीआई लिंक्ड

गवर्नर दास ने मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए कहा कि यह पहले से मंजूर कर्ज से जुड़ा है. वर्तमान में डिपॉजिट अकाउंट्स के अलावा कुछ मामलों में WALLET और प्रीपेड कार्ड की मदद से भी यूपीआई ट्रांजैक्शन होते हैं. गवर्नर दास ने कहा कि RBI बहुत जल्द इस संबंध में डीटेल निर्देश जारी करेगा.

डिजिटल बैंकिंग की स्वीकार्यता में तेजी आएगी

इस बारे में भारतीय बैंक संघ (IBA) के अध्यक्ष ए के गोयल ने कहा कि बैंकों में पहले से मंजूर कर्ज सुविधा (pre-sanctioned credit lines) को शामिल कर यूपीआई के दायरे के विस्तार का उद्देश्य इंस्टीट्यूशनल क्रेडिट तक पहुंच बढ़ाना है. पे नियरबाइ के फाउंडर और CEO आनंद कुमार बजाज ने कहा कि यूपीआई के माध्यम से बैंकों में प्री-अप्रूव्ड क्रेडिट लाइन की अनुमति देकर यूपीआई के दायरे का विस्तार करने का निर्णय एक सकारात्मक कदम है. इससे ग्राहकों के लिए कर्ज मिलने की सुविधा तक पहुंचना आसान होगा. इससे देश में डिजिटल बैंकिंग की स्वीकार्यता में तेजी आएगी.

 

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