भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि एसबीआई (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) को 1 अप्रैल तक अतिरिक्त पूंजी आवश्यकता नियमन का अनुपालन करना होगा. केंद्रीय बैंक ने कहा कि ये बैंक बड़े बैंक हैं. इन्हें डी-एसआईबी या घरेलू प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण बैंक माना गया है. 

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एसआईबी के तहत आने वाले बैंकों की निगरानी उच्चस्तर पर की जाती है. इस बात का ध्यान रखा जाता है कि इनमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी होने पर वित्तीय सेवाओं में संभावित अफरातफरी को रोका जा सके. 

रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘डी-एसआईबी के लिए अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर 1 (सीईटी 1) की अनिवार्यता को एक अप्रैल, 2016 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है और एक अप्रैल, 2019 से यह पूर्ण रूप से लागू हो जायेगी.’’ 

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के संदर्भ में अतिरिक्त सीईटी-एक मूल पूंजी अनिवार्यता एक अप्रैल से लागू हो रही है और यह जोखिम भारांश संपत्तियों (आरडब्ल्यूए) का 0.6 प्रतिशत तय की गई है. अन्य दो बैंकों के संदर्भ में यह 0.4 प्रतिशत है. 

रिजर्व बैंक ने डी-एसआईबी यानी घरेलू प्रणाली के लिये महत्वपूर्ण बैंक के साथ कामकाज को लेकर रिजर्व बैंक ने 22 जुलाई 2014 को रूपरेखा जारी की थी. इस रूपरेखा में रिजर्व बैंक के लिये जरूरी है कि वह जिन बैंकों को डी- एसआईबी बैंक के तौर पर नामित किया गया है उनके नाम घोषित करे. यह व्यवस्था 2015 से शुरू हो गई. इन बैंकों को उनके प्रणालीगत महत्व के लिहाज से एक अलग सुरक्षित दायरे में रखा जाता है. इस दायरे के हिसाब से ही इन बैंकों को अतिरिक्त साधारण इक्विटी की आवश्यकता होती है.