डेटा लोकलाइजेशन पर बड़ा फैसला करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि पेमेंट से जुड़े सभी डेटा भारत में ही स्टोर करने होंगे. आरबीआई के इस फैसले से विदेशी पेमेंट कंपनियों की लागत बढ़ेगी क्योंकि उन्हें भारत में पेमेंट सिस्टम डेटा स्टोर करने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करना होगा. 

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आरबीआई ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि पूरा पेमेंट डेटा भारत में स्थित सिस्टम्स में ही स्टोर करना होगा. ऐसा पेमेंट कंपनियों को ऐसा 24 घंटे में करना होगा. आरबीआई की मंजूरी के बाद ही पेमेंट डेटा को विदेश में किसी रेग्युलेटर के साथ शेयर किया जा सकेगा.

समाचार एजेंसी ब्लूमबर्क के मुताबिक विदेशों से होने वाले लेनदेन के मामले में क्रास बॉर्डर डेटा के घरेलू हिस्से की कॉपी विदेश में स्टोर की जा सकती है. हालांकि पेमेंट ट्रांजेक्शन की प्रोसेसिंग विदेश में की जा सकती है, लेकिन कंपनियों को डेटा भारत में ही स्टोर करना होगा. अगर पेमेंट की प्रोसेसिंग विदेश में होती है तो प्रोसेसिंग के बाद उन्हें विदेश में स्थित सिस्टम से वह डेटा डिलीट करना होगा और उसे वापस भारत लाना होगा. ऐसा एक कारोबारी दिन या पेमेंट प्रोसेसिंग के 24 घंटे के भीतर करना होगा.