RBI के नए मास्टर सर्कुलर से फ्रॉड में गया पैसा वापस मिलना होगा आसान,धोखाधड़ी पर हर बैंक में बनेगी स्पेशल कमेटी
Banking Fraud, RBI Circular: भारतीय बैंकों में फ्रॉड से बचने और फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट को मजबूत करने के लिये रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है.
Banking Fraud, RBI Circular: भारतीय बैंकों में फ्रॉड से बचने और फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट को मजबूत करने के लिये रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है. इसमें कुछ बड़े बदलाव किये गये हैं . इन बदलाव में यदि कोई अकाउंट धोखाधड़ी से जुड़ी गतिविधियों में शामिल है तो उसे रेड फ्लैग किया जाएगा. बैंकिंग सिस्टम में रेड फ्लैग अकाउंट्स न सिर्फ फ्रॉड रोकने, साथ ही फ्रॉड की रकम वापस लौटाने में भी कारगर होंगे. साथ ही बाकी बैंकों के लिये भी इससे मदद होगी कि वो रेड फ्लैग के नये अकाउंट को लोन न दें.
Banking Fraud, RBI Circular: हर बैंक बनाएगा एक स्पेशल कमेटी, रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क में होगा बदलाव
आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक हर एक बैंक अब स्पेशल कमेटी बनायेगा. इसका काम होगा कि वो बैंक में होने वाले फ्रॉड पर पैनी नजर रखे, उन्हे ट्रैक करे और सही नतीजे पर पहुंचाये. इस कमेटी का नाम होगा Special committe of the board for monitoring ans follow up cases of frauds ( SCBMF) होगा. यह कमेटी पता लगाएगी कि बैंक के सिस्टम में कहां कमी रह गई थी कि फ्रॉड हुआ ताकि उसी अनुसार बैंक के अंदरूनी कंट्रोल और रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क में बदलाव कर उसे मजबूत बनाया जाए.
Banking Fraud, RBI Circular: नहीं होगी कोई भी फ्रॉड की शिकायत नजरअंदाज
सर्कुलर के मुताबिक हर एक बैंक ऐसा मजबूत सिस्टम बनायेगा जिससे कि किसी भी तरह के फ्रॉड की शिकायत नज़रअंदाज न हो और फ्रॉड से जुड़े अकाउंट पर बैंक पैनी नजर बना पाये. अगर बैंक मैं कोई अकाउंट किसी धोखाधड़ी की गतिविधि के साथ जुड़ा है तो बैंक सिस्टम में शुरुआती वॉर्निंग सिग्नल देगा ताकि पूरी जांच के बाद अकाउंट को रेड फ्लैग किया जा सके. ये किस तरह के सिग्नल होने चाहिए या किसी अकाउंट को रेड फ्लैग करना चाहिए, रिस्क मैनेजमेंट कमेटी के अनुसार हर बैक ये फ्रेमवर्क बनाएगा.
Banking Fraud, RBI Circular: म्यूल अकाउंट्स को पहचानना होगा आसान
गौरतलब है कि शुरुआती वॉर्निंग सिग्नल के वजह से बैंकों के लिए म्यूल अकाउंट्स या जिन अकाउंट की केवाईसी नहीं हुई है, उन पर नजर रखना और उन्हें पहचानना आसान होगा, ताकि फ्रॉड करने वाला बैंकिंग ठगी के लिये बैंकिंग सिस्टम का इस्तेमाल न करें. अगर क्रेडिट या लोन की वजह से सही जांच के बाद अगर किसी अकाउंट को CRILC threshold रिपोर्टिग के अनुसार रेड फ्लैग किया गया है तो उसके बारे में RBI को सात दिन के अंदर बताना होगा.