RBI Policy Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को इस साल की आखिरी MPC बैठक में लगातार 11वीं बार ब्याज दरों (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है. RBI गर्वनर शक्तिकांत दास ने बताया कि RBI ने इसे 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है. हालांकि इकोनॉमी में नकदी बढ़ाने के मकसद से केंद्रीय बैंक ने CRR को 4.5 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है. इस कदम से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी. आइए जानते हैं कि RBI गर्वनर शक्तिकांत दास ने आज क्या 10 बड़ी बातें बताई हैं. 

मॉनेटरी पॉलिसी की बड़ी बातें

  • RBI ने CRR 0.5% घटाया, 4.5% से घटाकर 4% किया
  • ब्याज दरें बिना बदलाव के 6.5% पर स्थिर, न्यूट्रल रुख कायम
  • MPC के 6 में से 4 सदस्यों का दरें स्थिर रखने के पक्ष में वोट
  • अक्टूबर CPI हमारी रेंज से बाहर हुई, Q4 में नरमी की उम्मीद
  • GDP अनुमान में कटौती, Q3FY25 GDP अनुमान 7.4% से घटकर 6.8%
  • FY25 GDP अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% किया
  • CPI अनुमान बढ़ाए, Q3FY25 CPI अनुमान 4.8% से बढ़कर 5.7%
  • FY25 CPI अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 4.8% किया
  • CRR कटौती से सिस्टम में ₹1.16 लाख करोड़ की लिक्विडिटी आएगी
  • संतुलित पॉलिसी, महंगाई के साथ ग्रोथ और लिक्विडिटी पर भी फोकस

जीडीपी और महंगाई दर का अनुमान

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इसके साथ ही आरबीआई ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है. RBI ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 4.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. 

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने MPC की बुधवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिए गए इन निर्णयों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को यथावत रखने का निर्णय किया है. समिति के छह में से चार सदस्यों ने नीतिगत दर को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि दो इसमें बदलाव किए जाने के पक्ष में थे. इसके साथ ही एमपीसी ने अपने रुख को ‘तटस्थ’ बनाये रखने का निर्णय लिया है. 

क्या होता है रेपो रेट?

रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है. रेपो दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में बदलाव की संभावना कम है.