RBI का बड़ा फैसला: कोऑपरेटिव बैंकों के लिए डबल हुई हाउसिंग लोन लिमिट, करीब 10 साल बाद हुआ बदलाव
RBI MPC: RBI ने बुजुर्गों और दिव्यांगों की मदद के लिये शहरी कोऑपरेटिव बैंकों को नोटिफाइड बैंकों की तरह अपने ग्राहकों को डोरस्टेप बैंकिंग से जुड़ी सुविधाएं देने की मंजूरी दे दी गई है.
RBI MPC: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को मकान की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए कोऑपरेटिव बैंकों के लिए इंडिविजुअल हाउसिंग होन की मौजूदा सीमा को दोगुना कर 1.40 करोड़ रुपये कर दिया है. कोऑपरेटिव बैंकों के लिए इससे पहले कर्ज सीमा को लेकर संशोधन 2011 में किया गया था. इसके अलावा, रूरल कोऑपरेटिव बैंकों को अब रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स से जुड़े बिल्डरों को कर्ज देने की मंजूरी दी गई है. इसके आलावा, आरबीआई ने बुजुर्गों और दिव्यांगों की मदद के लिये शहरी कोऑपरेटिव बैंकों को नोटिफाइड बैंकों की तरह अपने ग्राहकों को डोरस्टेप बैंकिंग से जुड़ी सुविधाएं देने की मंजूरी दे दी गई है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू जारी करते हुए कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंक (UCB) को अब 1.40 करोड़ रुपये तक का होम लोन देने की अनुमति होगी. अबतक यह सीमा 70 लाख रुपये थी. वहीं, रूरल कोऑपरेटिव बैंक 75 लाख रुपये तक का कर्ज दे सकेंगे, जो अबतक 30 लाख रुपये था.
क्यों बढ़ाई कोऑपरेटिव्स की लिमिट?
शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘पिछली बार कर्ज सीमा को संशोधित किये जाने के बाद से घरों की कीमतों में इजाफा और ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कोऑपरेटिव बैंकों के लिये इंडिविजुअल हाउसिंग लोन की मौजूदा सीमा को बढ़ाने का फैसला किया गया है.’’ उन्होंने कहा कि इस बारे में डीटेल नोटिफिकेशन अलग से जारी किया जाएगा.
दास ने कहा कि शहरी कोऑपरेटिव बैंक को दो कैटेगरी (टियर 1 और टियर दो) में रखा गया है. अधिकतम कर्ज सीमा इस बात पर निर्भर करेगी कि बैंक कौन सी कैटेगरी में आते हैं.
RBI गवर्नर ने कहा कि रूरल कोऑपरेटिव बैंक (राज्य कोऑपरेटिव बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक) और उनका नेटवर्थ अधिकतम स्वीकार्य कर्ज लिमिट तय करेगा. जिन बैंकों का नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये तक है, वे प्रत्येक इंडिविजुअल हाउसिंग लोन के लिए 50 लाख रुपये तक कर्ज दे सकते हैं जबकि पहले यह सीमा 20 लाख रुपये थी. वहीं, अन्य 75 लाख रुपये तक का कर्ज दे सकते हैं.
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बिल्डरों को कर्ज देने की मंजूरी
शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि ग्रामीण सहकारी बैंकों को अब रिहायशी परियोजनाओं से जुड़े बिल्डरों को कर्ज देने की अनुमति होगी. अबतक इसकी मंजूरी नहीं थी. उन्होंने कहा कि देश में सस्ते मकान की जरूरतों और आवास क्षेत्र को कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने की क्षमता को देखते हुए यह फैसला किया गया है. ग्रामीण कोऑपरेटिव बैंकों के लिये कुल हाउसिंग फाइनेंस लिमिट उनकी कुल एसेट के 5 फीसदी पर बरकरार रखी गई है. बैंक कॉमर्शियल रियल एस्टेट, रिहायशी होम लोन के लिये एग्रीगेट लिमिट के भीतर कर्ज दे सकेंगे.