RBI MPC Meeting: रेपो रेट पर क्या फैसला लेगा आरबीआई? क्या फिर लगेगा ब्रेक? आज से मीटिंग शुरू
RBI MPC Meeting: अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला ले सकता है. पिछली बार से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि आरबीआई अभी दरों को स्थिर रखकर अगले वित्तवर्ष से इनमें कटौती भी करना शुरू कर सकता है.
RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की आज मंगलवार से बैठक शुरू हो रही है. हर दो महीने पर होने वाली इस बैठक में आरबीआई की मौद्रिक समिति फैसला लेगी कि उसे नीतिगत ब्याज दरों में किस तरह का संशोधन करेगा. इससे पिछली बैठक में जोकि अप्रैल में हुई थी, उसमें रेपो रेट पर कोई बदलाव नहीं किया गया था. हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने उसी वक्त कहा था कि ये फैसला बस इस मीटिंग के लिए लिया गया है और जरूरी नहीं है कि ब्याज दरों को आगे भी यथावत रखा जाए, जरूरत पड़ी तो फिर से इसे बढ़ाया भी जा सकता है. ऐसे में ये देखना होगा कि मीटिंग में क्या फैसला लिया जाएगा.
कब आएगा रेपो रेट पर फैसला? (RBI MPC Announcements)
मौद्रिक समिति हर दो महीनों में तीन दिनों के कार्यक्रम के लिए मिलती है. दो दिन मीटिंग चलती है और तीसरे दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर कमिटी के फैसले की घोषणा करते हैं. इस बार बैठक आज से यानी 6 जून, 2023 से शुरू हो रही है और 8 जून को पॉलिसी की घोषणा की जाएगी.
क्या आ सकता है फैसला?
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला ले सकता है. आरबीआई की कोशिश महंगाई को काबू करने में है. पिछली बार से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि आरबीआई अभी दरों को स्थिर रखकर अगले वित्तवर्ष से इनमें कटौती भी करना शुरू कर सकता है.
मौजूदा रेपो रेट क्या है?
मई 2022 से फरवरी 2023 तक RBI ने ब्याज दरों में 2.50% की बढ़ोतरी की है. अप्रैल में हुई मीटिंग में रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा गया था. रिवर्स रेपो रेट 3.35%, बैंक रेट 5.15% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 6.75% पर है.
रेपो रेट क्या होता है और आपके ऊपर इसका क्या असर होता है?
सार्वजनिक, निजी और व्यावसायिक क्षेत्र की बैंकों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है और वो ये लोन भारतीय रिजर्व बैंक से लेते हैं. आरबीआई से जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट एक तरह का बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर अन्य बैंक आम लोगों को दिए जाने वाले लोन के इंटरेस्ट रेट को निर्धारित करते हैं. जब रेपो रेट बढ़ता है तो बैंकों को कर्ज ज्यादा ब्याज दर पर मिलता है. ऐसे में बैंक आम आदमी के लिए भी होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दर को बढ़ा देते हैं और इसका असर ईएमआई पर पड़ता है. यानी रेपो रेट बढ़ने के साथ ईएमआई भी बढ़ जाती है.
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