RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन चलने वाली बैठक बुधवार को शुरू हुई. माना जा रहा है कि एमपीसी इस बार भी नीतिगत दर रेपो को यथावत रख सकती है. इसका प्रमुख कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में GDP (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का उम्मीद से अधिक होना और मुद्रास्फीति में नरमी है. RBI ने पिछली चार मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया. अंतिम बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था. इसके साथ रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके कारण वैश्विक आपूर्ति बाधित होने से महंगाई बढ़ने के कारण मई, 2022 से शुरू हुआ नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला एक तरह से थम गया. 

8 दिसंबर को होगा ब्याज दरों का एलान

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास छह सदस्यीय एमपीसी के निर्णय की घोषणा आठ दिसंबर को करेंगे. एमपीसी से अपेक्षा के बारे में ICRA की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में GDP आंकड़ा मौद्रिक नीति समिति के पिछले अनुमान से अधिक रहा है. हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति से संबद्ध विभिन्न पहलुओं को लेकर चिंता बनी हुई है. 

ब्याज दरों को रखा जा सकता है यथावत

उन्होंने कहा, "इन सबको देखते हुए हमारा अनुमान है कि एमपीसी दिसंबर, 2023 की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रख सकती है. हालांकि, मौद्रिक नीति का रुख आक्रामक हो सकता है."

डॉयचे बैंक रिसर्च के अनुसार, RBI 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर सकता है जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 5.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना है. 

उसने कहा, "RBI संभवतः रेपो दर और रुख को अपरिवर्तित रखेगा. साथ ही नकदी की स्थिति को सख्त बनाये रख सकता है. आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि अल्पकालिक दर 6.85-6.90 प्रतिशत के आसपास बनी रहे...." 

ग्रोथ रेट में तेजी

विनिर्माण, खनन और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.6 प्रतिशत रही. एक साल पहले इसी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत थी. इसके साथ भारत दुनिया की प्रमुख इकोनॉमी में सबसे तीव्र इकोनॉमिक ग्रोथ रेट हासिल करने वाला देश बना हुआ है. 

एसकेए ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा कि कुछ समय से RBI लगातार नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखे हुए है. यह आर्थिक परिदृश्य को लेकर आरबीआई के भरोसे को दर्शाता है. 

उन्होंने कहा, "मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए इस बार भी उम्‍मीद है कि‍ आरबीआई रेपो दर को स्थिर रखेगा, इससे संभावित घर खरीदारों को लाभ होगा."

रिटेल इंफ्लेशन का क्या है हाल?

उल्लेखनीय है कि मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में घटकर 4.87 प्रतिशत रही. MPC ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. सरकार ने RBI को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. 

अंसल हाउसिंग के निदेशक कुशाग्र अंसल ने कहा कि अपनी पिछली घोषणाओं में RBI ने रेपो दरों को यथावत रखा है, जो रियल एस्टेट कंपनियों और खरीदारों के लिए सकारात्मक रुख का संकेत देता है. हम इस बैठक के बाद भी केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो दर बरकरार रहने की उम्मीद कर रहे हैं. स्थिर ब्याज दर घर खरीदारों को रियल एस्‍टेट की ओर आकर्षित करेंगी.