RBI MPC Meeting: चुनाव से पहले आएगी RBI पॉलिसी से आएगी राहत की खबर? बस चंद मिनटों का रह गया है इंतजार
पिछले एक साल से आरबीआई ने रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. जब आरबीआई रेपो रेट बदलता है तो इसका असर आम आदमी के जीवन पर भी पड़ता है. आइए आपको बताते हैं कि अगर रेपो रेट बढ़ा या घटा तो आपके लिए क्या-क्या बदलेगा.
RBI MPC Meeting: वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग का आज तीसरा दिन है. आज इस बैठक के नतीजे सामने आएं. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार सुबह 10 बजे मॉनेटरी पॉलिसी के नतीजों का ऐलान करेंगे. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाली इस बैठक से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं. नतीजे सामने आने में कुछ ही समय बाकी है और इसी के साथ ये पता चल जाएगा कि इस बार रिजर्व बैंक रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव करता है या नहीं.
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से आखिरी बार फरवरी में 25 बेसिस प्वाइंट की बढोतरी की गई थी. उस वक्त रेपो रेट को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था. उसके बाद से लगातार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा हुआ है. जब आरबीआई रेपो रेट बदलता है तो इसका असर आम आदमी के जीवन पर भी पड़ता है. आइए आपको बताते हैं कि अगर रेपो रेट बढ़ा या घटा तो आपके लिए क्या-क्या बदलेगा.
अगर रेपो रेट घटा तो लोन सस्ते हो जाएंगे
दरअसल रेपो रेट वो ब्याज दर होती है, जिसपर बैंकों को आरबीआई लोन देता है यानी अगर रेपो रेट बढ़ता है तो दूसरे बैंकों को आरबीआई से कर्ज महंगी दर पर मिलने लगता है और रेपो रेट जब घटता है, तो बैंकों के लिए आरबीआई से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है. रेपो रेट बढ़ने के बाद जब दूसरे बैंक आरबीआई से महंगी ब्याज दर पर लोन लेते हैं, तो वो अपने ग्राहकों को भी लोन महंगी ब्याज दर पर देते हैं, वहीं जब बैंक आरबीआई से कम ब्याज दर पर कर्ज लेते हैं, तो आम ग्राहकों के लिए भी बैंकों में लोन सस्ते हो जाते हैं.
बता दें कि पिछले एक साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं होगा और अगर किया गया तो रेपो रेट घटाए जा सकते हैं. ऐसे में अगर रेपो रेट घटा तो बैंक के ग्राहकों के लिए लोन सस्ते हो जाएंगे.
रेपो रेट में बदलाव से होगा FD की ब्याज दरों पर असर
रेपो रेट में बदलाव होने का असर FD की ब्याज दरों पर भी होता है. अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंक एफडी की ब्याज दरों को बढ़ाकर आकर्षक कर देता है. वहीं रेपो रेट घटने से बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें भी कम हो जाती हैं. पिछले एक साल से रेपो रेट स्थिर रहने का असर एफडी पर भी पड़ा है. इस बीच लोगों ने एफडी की आकर्षक ब्याज दरों का फायदा लिया है.
रेपो रेट बढ़ने-घटने से एफडी रेट्स क्यों बढ़ते-घटते हैं?
इसका कारण है कि रेपो रेट बढ़ने से बैंकों पर दोहरा असर होता है. एक तरफ बैंक लगातार ग्राहकों को लोन के तौर पर पैसा दे रहे होते हैं और दूसरी तरफ आरबीआई से लिए लोन को महंगी ब्याज दर पर भर भी रहे होते हैं. इन स्थितियों के चलते बैंकों के पास कैश की कमी न हो, इसके लिए बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम को आकर्षक बनाते हैं, ताकि ज्यादा ब्याज दरों से आकर्षित होकर ज्यादा से ज्यादा लोग एफडी करवाएं. इससे बैंक के पास डिपॉजिट बढ़ जाता है और कैश की कमी नहीं होती.
आरबीआई क्यों रेपो रेट में करता है बदलाव?
रेपो रेट महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है, जिसका समय समय पर आरबीआई स्थिति के हिसाब से इस्तेमाल करता है. जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो आरबीआई इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है और रेपो रेट को बढ़ा देता है. आमतौर पर 0.50 या इससे कम की बढ़ोतरी की जाती है. लेकिन जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है और ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है.