RBI Repo Rate Cut: FY25 में रेपो रेट में कब तक हो जाएगी कटौती? SBI अर्थशास्त्री ने लगाया अनुमान
RBI Repo Rate Cut: लगातार छह बार से Repo Rate को स्थिर रखा जा रहा है और इस बार भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं कि लगातार सातवीं बार भी रेट जस के तस रहेंगे. हालांकि, इस वित्त वर्ष में आखिरकार कटौती भी आ सकती है और जल्दी आ सकती है, ऐसा एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने अनुमान लगाया है.
RBI Repo Rate: केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए पहली मीटिंग कल यानी 3 अप्रैल से शुरू होने वाली है. समिति फैसला 5 अप्रैल को सुनाएगी. लगातार छह बार से रेपो रेट को स्थिर रखा जा रहा है और इस बार भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं कि लगातार सातवीं बार भी रेट जस के तस रहेंगे. हालांकि, इस वित्त वर्ष में आखिरकार कटौती भी आ सकती है और जल्दी आ सकती है, ऐसा एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने अनुमान लगाया है.
तीसरी तिमाही में आ सकती है कटौती
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में ही रेपो रेट में कटौती कर सकता है. एक शोध रिपोर्ट में ग्रुप की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष ने भी कहा था कि आरबीआई फिलहाल अपना रुख नहीं बदलेगा. इस वित्त वर्ष के लिए मॉनिट्री पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की पहली बैठक इसी सप्ताह होगी. रेपो रेट वह रेट है जिस पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है. यह दर फिलहाल 6.5 प्रतिशत है.
फूड इंफ्लेशन पर होगी नजर
घोष के अनुसार, इंफ्लेशन खाद्य मूल्य से है. आगे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति का प्रभाव फूड इंफ्लेशन पर रहेगा. वित्त वर्ष 2024 के शेष माह में मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रहने की संभावना है. उन्होंने यह भी कहा कि इस साल जुलाई तक मुद्रास्फीति में गिरावट आने की उम्मीद है, लेकिन उसके बाद सितंबर में यह फिर से बढ़ कर 5.4 प्रतिशत पर आ जाएगा, जिसके बाद इसमें फिर गिरावट आएगी. पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए यह औसत 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना हैय
इस बार की मीटिंग में क्या हो सकता है फैसला?
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा एक बार फिर नीतिगत दर को यथावत रख सकता है. इसका कारण आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता दूर होने और इसके करीब आठ प्रतिशत रहने के साथ केंद्रीय बैंक का अब और अधिक जोर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने पर हो सकता है. साथ ही नीतिगत दर पर निर्णय लेने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों के रुख पर गौर कर सकती है. ये केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती को लेकर स्पष्ट रूप से ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपना रहे हैं.
विकसित देशों में स्विट्जरलैंड पहली बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने नीतिगत दर में कटौती की है. वहीं दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान आठ साल बाद नकारात्मक ब्याज दर की स्थिति को समाप्त किया है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक तीन अप्रैल को शुरू होगी. मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा पांच अप्रैल को की जाएगी. यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा होगी. एक अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की छठ बैठकें होगी. आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था. उसके बाद लगातार छह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में इसे यथावत रखा गया है.
विशेषज्ञों ने Repo Rate पर क्या कहा?
बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति अभी भी पांच प्रतिशत के दायरे में है और खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भविष्य में झटका लगने की आशंका है, इसको देखते हुए एमपीसी इस बार भी नीतिगत दर और रुख पर यथास्थिति बनाए रख सकता है.’’ उन्होंने कहा कि जीडीपी अनुमान में संशोधन हो सकता है. इस पर सबकी बेसब्री से नजर होगी. सबनवीस ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि उम्मीद से कहीं बेहतर रही है और इसीलिए केंद्रीय बैंक को इस मामले में चिंताएं कम होंगी और वह मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप लाने पर ज्यादा ध्यान देना जारी रखेगा.’’
ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2023-24 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान बढ़ाये जाने के साथ लगातार तीन तिमाहियों में वृद्धि दर आठ प्रतिशत से अधिक रहने तथा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) फरवरी में 5.1 प्रतिशत रहने से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर और रुख में बदलाव की संभावना नहीं है.
(एजेंसी से इनपुट)