रिजर्व बैंक कच्चे तेल में तेजी तथा रुपये में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ा सकता है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति 2018-19 के चौथे द्वैमासिक समीक्षा की तीन दिवसीय बैठक की शुरुआत तीन अक्टूबर को करेगी. मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा पांच अक्टूबर को की जाएगी. लगातार दो बार वृद्धि के बाद अभी रेपो दर 6.50 प्रतिशत है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति के भी बढने का अनुमान है. अत: रिजर्व बैंक पहले ही बचाव के कदम उठा सकता है. अनुमान है कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी. 

एचडीएफसी के उपाध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी के मिस्त्री ने कहा कि मुद्रा के मौजूदा स्तर को देखते हुए उनका मानना है कि आरबीआई ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करेंगे. 

उल्लेखनीय है कि रुपया लगातार कमजोर हुआ है और इसके 73 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से नीचे गिर जाने की आशंका है. विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर रुपया भी रिजर्व बैंक को रेपो दर बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है.

भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा कि रिजर्व बैंक को रुपये की गिरावट थामने के लिए ब्याज दर में कम से कम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करनी चाहिए. मॉर्गन स्टेनली ने भी कहा कि उसे अक्टूबर बैठक में रिजर्व बैंक द्वारा अल्पावधि ब्याज दर बढ़ाने की उम्मीद है. कोटक इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अक्टूबर बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. हालांकि बैंक अधिकारियों को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कमी का अनुमान नहीं है.