Repo Rate : सितंबर में फिर से रेपो रेट बढ़ने के संकेत, जानें कैसे आम आदमी की पॉकेट पर असर डालता है ये ?
रेपो रेट के बारे में हर नागरिक को जानकारी होनी चाहिए क्योंकि ये अप्रत्यक्ष रूप से न सिर्फ आम लोगों की जेब बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है.
डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) का अनुमान है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) सितंबर की मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. देखा जाए तो रेपो रेट से आम आदमी का सीधे तौर पर ताल्लुक नहीं होता, लेकिन फिर भी इसके बारे में देश के हर नागरिक को जानकारी रखनी चाहिए क्योंकि रेपो रेट अप्रत्यक्ष रूप से न सिर्फ आम लोगों की जेब बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है. अगर डॉयचे बैंक का अनुमान सही साबित होता है तो मुश्किल आदमी के लिए भी बढ़ेगी. जानिए क्या होता है रेपो रेट और ये किस तरह से लोगों के जीवन पर असर डालता है?
साधारण शब्दों में समझें रेपो रेट
जिस तरह आप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे एक निर्धारित ब्याज के साथ चुकाते हैं, उसी तरह सार्वजनिक, निजी और व्यावसायिक क्षेत्र की बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ही ओर से जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट कम होने पर आम आदमी को राहत मिल जाती है और रेपो रेट बढ़ने पर आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ्ती हैं.
कैसे आम आदमी रेपो रेट से होता है प्रभावित
रेपो रेट एक तरह का बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर अन्य बैंक आम लोगों को दिए जाने वाले लोन के इंटरेस्ट रेट को निर्धारित करती हैं. जब बैंकों को कर्ज ज्यादा ब्याज दर पर मिलता है, यानी जब रेपो रेट बढ़ता है तो आम आदमी के लिए भी होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन महंगा हो जाता है. इससे लोगों के रोजमर्रा के खर्च में भी कटौती होती है और इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. वहीं जब रेपो रेट में कटौती होती है, तो आम लोगों को राहत मिलती है और बाजार में नकदी का प्रवाह भी बढ़ जाता है.
शेयर बाजार पर भी पड़ता है असर
रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बदलाव का असर शेयर मार्केट पर भी देखने को मिलता है. इसमें कटौती या बढ़ोतरी होने पर शेयर में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. इसके अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियों, रियल एस्टेट कंपनियों आदि तमाम क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों पर भी इसका असर देखने को मिलता है. ये कंपनियां देश की अर्थव्यवस्था में भी विशेष योगदान देती हैं. रेपो रेट बढ़ने से महंगाई बढ़ती है और देश की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित होती है.