भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) मसौदे में कुछ बदलाव कर सकता है. पीसीए वित्तीय रूप से कमजोर बैंकों पर कुछ पाबंदी लगाता है. सूत्रों ने कहा कि विभिन्न पहलुओं पर गौर करने तथा बैंक प्रणाली के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए पीसीए में बदलाव अगले कुछ सप्ताह में हो सकता है. आरबीआई के निदेशक मंडल की बैठक में इस मुद्दे पर कुछ चर्चा हुई है.

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कुल 21 बैंकों में से 11 आरबीआई की निगरानी सूची में हैं. इनमें से दो बैंक देना बैंक तथा इलाहबाद बैंक व्यापार विस्तार को लेकर पाबंदियों का सामना कर रहे हैं. पिछले महीने सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों ने सरकार से पीसीए दिशानिर्देश में कुछ छूट का आग्रह किया था. उनका कहना था कि इससे उनके कर्ज देने की क्षमता परोक्ष रूप से प्रभावित हो रही है. हालांकि आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि वित्तीय रूप से कमजोर बैंकों को पटरी पर लाने तथा बैंक खंड में सुधारों के लिये पीसीए का उपयोग जरूरी था. 

उन्होंने कहा था कि कुल मिलाकर वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिये पीसीए मसौदा जरूरी उपाय है.

फंसे कर्ज के बड़े मामले के समाधान के करीब पहुंचने के साथ वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि प्राप्त राशि से कुछ बैंकों को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई मसौदा से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है. बड़े एनपीए (फंसे कर्ज) खातों में एस्सार स्टील और भूषण पावर एंड स्टील लि. समाधान के अंतिम चरण में हैं. पीसीए के अंतर्गत आने वाले 11 बैंक देना बैंक, इलाहबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स तथा बैंक ऑफ महाराष्ट्र हैं.