RBI ULI System: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल एक नई योजना का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था. इस योजना का नाम था Frictionless Credit Platform, जिसका मकसद लोन लेने की प्रक्रिया को आसान बनाना था. अब इस प्लेटफॉर्म का नाम बदलकर "यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI)" कर दिया गया है.

डिजिटल बैंकिंग को मिलेगा बढ़ावा

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बेंगलुरू में अपने भाषण के दौरान RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि ULI लोन देने की प्रक्रिया को और सरल और तेज़ बनाएगा. इससे बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) लोन देने में आसानी महसूस करेंगी. क्योंकि लोन देने वाले संस्थानों को ज़मीन के रिकॉर्ड जैसी ज़रूरी डिजिटल जानकारी एक ही जगह से मिल जाएगी, जिससे लोन की प्रक्रिया में लगने वाला समय और कागज़ी कामकाज दोनों कम होंगे.

छोटे गावों और कस्बों को होगा फायदा

RBI के गवर्नर ने बताया कि ULI का सबसे ज्यादा फायदा देश के छोटे गांवों, कस्बों और छोटे-मझोले उद्यमों (MSMEs) को होगा. ULI को Plug and Play मॉडल के आधार पर डिज़ाइन किया गया है, जिससे कि कोई भी संस्था इसे आसानी से अपना सकेगी. पायलट प्रोजेक्ट के अच्छे अनुभवों के आधार पर, ULI को जल्द ही पूरे देश में लागू किया जाएगा.

जैसे UPI ने भुगतान के तरीके को बदल दिया, वैसे ही ULI भी लोन देने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है. यह छोटे शहरों और गांवों के लोगों के लिए एक बड़ा फायदा साबित होगा.

बैंकिंग सिस्टम में हुआ है बदलाव

DPI व्यापक रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में निर्मित बुनियादी प्रौद्योगिकी प्रणालियों को संदर्भित करता है जो उपयोगकर्ताओं तथा अन्य डेवलपर के लिए खुले तौर पर उपलब्ध हैं. दास ने कहा कि पिछले दशक में पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली में अभूतपूर्व प्रौद्योगिक बदलाव हुआ है. सभी संकेतों से पता चलता है कि आने वाले वर्षों में यह प्रक्रिया और भी तेज हो सकती है. 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय बैंक लगातार ऐसी नीतियां, प्रणालियां और मंच तैयार करने पर काम कर रहा है जो वित्तीय क्षेत्र को मजबूत, जुझारू और ग्राहक केंद्रित बनाएंगे. RBI@90 पहल के तहत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना तथा उभरती प्रौद्योगिकियों पर वैश्विक सम्मेलन में दास ने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और उभरती प्रौद्योगिकियां दुनिया में लगभग सभी अर्थव्यवस्थाओं की भविष्य की यात्रा को आकार देंगी. 

गर्वनर दास ने कही ये बात

DPI को लेकर देश के अनुभव पर उन्होंने कहा, "DPI ने भारत को एक दशक से भी कम समय में वित्तीय समावेश के ऐसे स्तर को हासिल करने में सक्षम बनाया है, जिसे हासिल करने में अन्यथा कई दशक या उससे भी अधिक समय लग जाता."