रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने NPA पर संशोधित सर्कुलर जारी किया है. नए सर्कुलर में बैकों को निर्देश जारी किए गए हैं कि डिफॉल्ट करने के 30 दिन के भीतर ही खाते की समीक्षा शुरू होनी चाहिए. वहीं, पुराने सर्कुलर के मुताबिक डिफॉल्ट करने के बाद एक दिन बाद ही खाता समीक्षा में डालने के निर्देश थे. आपको बता दें, आरबीआई ने पिछले साल 12 फरवरी 2018 को इस संबंध में सर्कुलर जारी किया था. लेकिन, 2 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सर्कुलर को गैर-संवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था.

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पुराने सर्कुलर में यह था आदेश

आरबीआई ने पिछले साल 2,000 करोड़ रुपए से ऊपर के फंसे कर्ज की पहचान और उनके निपटारे के संबंध में सर्कुलर जारी किया था. पुराने सर्कुलर के मुताबिक, फंसे कर्ज का 180 दिन के भीतर निपटारा नहीं होने पर बैंकों को दिवालिया प्रक्रिया शुरू करनी होती थी. यह एनपीए से जुड़ा वही मुद्दा है, जिसको लेकर आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल और सरकार के बीच मतभेद हुआ था. 

बैंकों को मिलेगी आजादी

आरबीआई के संशोधित सर्कुलर के मुताबिक, रेजोल्यूशन प्लान के स्वरूप और उसे लागू करने की बैंकों को आजादी होगी. लेंडर्स भी रेजोल्यूशन प्लान में अपने हिसाब से बदलाव कर सकेंगे. रेजोल्यूशन प्लान के लिए अब 75% कर्जदाताओं की मंजूरी जरूरी होगी. पहले 100% कर्जदाताओं की मंजूरी लेनी होती थी.

रेजोल्यूशन प्लान लागू नहीं पर प्रोविजनिंग होगी

समीक्षा अवधि से 180 दिन में रेजोल्यूशन प्लान लागू नहीं होता है तो आरबीआई बैंकों से 20% अतिरिक्त प्रोविजनिंग के लिए कहेगा. 365 दिन में रेजोल्यूशन प्लान लागू नहीं होने पर 35% अतिरिक्त प्रोविजनिंग करनी होगी.