हर दिन हम सब 10, 20, 50, 100, 500 से लेकर 2000 तक के रुपए का इस्‍तेमाल करते हैं. ये नोट हमारी पॉकेट में पड़े रहते हैं, मुड़ते रहते हैं और कई बार पानी में भीग भी जाते हैं, लेकिन फिर भी ये नोट फटते या गलते नहीं हैं. जबकि इनकी जगह कोई और सामान्‍य कागज हो तो भींगने पर आसानी से गल जाएगा. क्‍या कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया है कि आखिर इन नोटों को बनाया किस कागज से जाता है, जो इतना इस्‍तेमाल होने, मुड़ने और भीगने पर भी जल्‍दी खराब नहीं होता. आइए आपको बताते हैं इस बारे में.

कॉटन से बनता है नोट

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दरअसल जिस नोट का इस्‍तेमाल आप रोजाना की वस्‍तुएं खरीदने में करते हैं, वो नोट 100% रूई (कॉटन) का उपयोग करके बनाया जाता है. ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की वेबसाइट पर इसका जिक्र किया गया है. अगर इन नोटों को सामान्‍य कागजों से बनाया जाए, तो इनकी उम्र कभी इतनी लंबी नहीं हो पाएगी. इस कारण से RBI इन नोटों को बनाने के लिए रुई का इस्‍तेमाल करता है, ताकि नोटों का यूज लंबे समय तक किया जा सके.

 सिक्योरिटी फीचर का भी इस्तेमाल 

इन नोट को बनाते समय कॉटन से बने कागज में विशेष प्रकार की स्‍याही का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसके अलावा नोट को छापते समय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इनमें कई तरह के सिक्योरिटी फीचर का भी इस्तेमाल करता है, जिसके चलते इन नोटों की नकल करके हुबहु नोट बना पाना मुमकिन नहीं होता. यही वजह है कि लोग नकली और असली नोटों में आसानी से पहचान कर पाते हैं.

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एक ही नंबर के दो नोट हो सकते हैं?

इसके अलावा कई बार मन में ये सवाल भी उठता है कि क्‍या दो या अधिक बैंकनोटों के नंबर्स में समानता हो सकती है. तो इसका जवाब है हां. आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक दो या इससे अधिक बैंकनोट के सरल क्रमांक समान हो सकते हैं, लेकिन या तो वे अलग इनसेट लेटर या अलग मुद्रण वर्ष या भारतीय रिज़र्व बैंक के अलग गवर्नर के हस्ताक्षर वाले होंगे. इनसेट लेटर एक अक्षर होता है जो बैंकनोट के संख्या पैनल पर मुद्रित होता है. नोट बिना किसी इनसेट लेटर के भी हो सकते हैं.