सरकार और रिजर्व बैंक के बीच जारी खींचतान के बीच 19 नवंबर को केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल की होने जा रही बैठक के हंगामेदार होने का अनुमान है. लोगों की निगाहें केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल के 18 सदस्यों के ऊपर टिकी हुई हैं. रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की 19 नवंबर को बैठक होने वाली है जिसमें आगे की दिशा तय होगी. निदेशक मंडल के सदस्यों में न केवल रिजर्व बैंक के शीर्ष अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल हैं बल्कि इनमें अग्रणी उद्यमी, अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं. रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार अभी निदेशक मंडल में 18 सदस्य हैं. हालांकि, इसमें सदस्यों की संख्या 21 तक रखने का प्रावधान है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सदस्यों में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और चार अन्य डिप्टी गवर्नर पूर्णकालिक आधिकारिक निदेशक हैं. इनके अलावा अन्य शेष 13 सदस्य सरकार द्वारा नामित हैं. सरकार द्वारा नामित सदस्यों में वित्त मंत्रालय के दो अधिकारी आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार शामिल हैं. सरकार द्वारा नामित अंशकालिक गैर-आधिकारिक निदेशकों में स्वदेशी विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति और सहकारी बैंक के अधिकारी सतीश मराठे भी शामिल हैं.

उर्जित पटेल के अलावा आधिकारिक निदेशकों में एन.एस.विश्वनाथन, विरल आचार्य, बी.पी.कानुनगो और एम.के.जैन हैं. इनमें से विश्वनाथन और आचार्य रिजर्व बैंक की कार्यप्रणाली में किसी भी तरह के हस्तक्षेप को लेकर सरकार की सार्वजनिक तौर पर अप्रत्यक्ष आलोचना कर चुके हैं.

पटेल जनवरी 2013 से डिप्टी गवर्नर पद पर रहने के बाद सितंबर 2016 में गवर्नर बनाये गये हैं. इससे पहले वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भी काम कर चुके हैं और 1998 से 2001 के दौरान वित्त मंत्रालय के परामर्शदाता भी रह चुके हैं. आचार्य न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं. कानुनगो और विश्वनाथन रिजर्व बैंक के कर्मचारी रहे हैं. जैन आईडीबीआई बैंक और इंडियन बैंक के प्रमुख रहने के बाद जून 2018 में डिप्टी गवर्नर बने हैं.

उद्योग जगत के प्रतिनिधि सदस्यों में टाटा समूह के प्रमुख नटराजन चंद्रशेखरन, महिंद्रा समूह के पूर्व वरिष्ठ भरत नरोत्तम दोषी, टीमलीज सर्विसेज के सह-संस्थापक मनीष सभरवाल और सन फार्मा के प्रमुख दिलीप संघवी शामिल हैं.

अन्य सदस्यों में पूर्व आईएएस अधिकारी एवं गुजरात सरकार के पूर्व मुख्य सचिव सुधीर मांकड़, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, पूर्व आईएएस अधिकारी एवं अर्थशास्त्री प्रसन्न मोहंती, रिसर्च एंड इंफोर्मेशन सिस्टम फोर डेवलपिंग कंट्रीज के सचिन चर्तुवेदी और पूर्व डिप्टी कैग रेवती अय्यर शामिल हैं.

इससे पहले भी रतन टाटा, कुमार मंगलम बिड़ला, एन.आर. नारायण मूर्ति, अजीम प्रेमजी, जी.एम.राव, वाई.सी.देवेश्वर और के.पी.सिंह जैसे उद्योगपति भी रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल में शामिल रह चुके हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक का गठन एक अप्रैल 1935 को हुआ था. इसके निदेशक मंडल के सदस्यों की नियुक्ति और उनका कार्यकाल रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा आठ के तहत निर्धारित किया जाता है. अभी हालिया समय में चर्चा में आई धारा सात केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक के गवर्नर से परामर्श के बाद जरूरी होने पर जनहित में निर्देश देने का विशेषाधिकार देती है. रिजर्व बैंक शुरू से निजी था लेकिन 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद यह पूरी तरह भारत सरकार के अधीन है.