भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को बताया कि उसने इंडिपेंडेंस  को-ऑपरेटिव बैंक, नासिक (Independence Co-operative Bank, Nashik) का लाइसेंस रद्द कर दिया है. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक के पास बिजनेस में बने रहने के लिए पर्याप्त कैपिटल और कमाई की संभावनाएं नहीं थीं.

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RBI ने एक बयान में कहा कि इंडिपेंडेंस को-ऑपरेटिव बैंक ने 3 फरवरी को कारोबार बंद होने के बाद से अपना बैंकिंग बिजनेस को बंद कर दिया है.

कस्टमर्स का क्या होगा

आरबीआई के परिसमापन नियमों के मुताबिक, बैंक का हर डिपॉजिटर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) से 5 लाख रुपये तक की सीमा के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस क्लेम का हकदार होगा.

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बैंक ने जो आंकड़े पेश किए हैं, उसके अनुसार 99 फीसदी से अधिक बैंक के कस्टमर DICGC से अपनी जमा की पूरी राशि पाने के हकदार हैं.

बैंकिंग बिजनेस में बने रहने में अससर्थ

RBI ने कहा कि इंडिपेंडेंस को-ऑपरेटिव बैंक Banking Regulation Act, 1949 की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है. RBI ने कहा कि बैंक को बैंकिंग बिजनेस में बनाए रखना, डिपॉजिटर्स के हितों के खिलाफ है और अपनी वर्तमान फाइनेंशियल कंडीशन के कारण वह अपने जमाकर्ताओं को पूरा करने में असमर्थ होगा.

केंद्रीय बैंक ने कहा, "अगर बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाती है, तो जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा."

केंद्रीय बैंक ने बिजनेस से बाहर

लाइसेंस रद्द होने के बाद, इंडिपेंडेंस को-ऑपरेटिव बैंक अपने कस्टमर्स से जमा नहीं स्वीकार सकता. आरबीआई ने बैंक को पूरी तरह से बैंकिंग व्यवसाय करने से प्रतिबंधित कर दिया है.

आरबीआई ने कहा कि 27 जनवरी, 2022 तक, DICGC ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त इच्छा के आधार पर कुल बीमित जमा राशि में से 2.36 करोड़ रुपये का वितरण किया था.