पीएमसी बैंक (PMC Bank) घोटाले के बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर (Deposit Insurance Cover) बढ़ाने की मांग ज़ोर पकड़ रही है. अब RBI के सेंट्रल बोर्ड मेंबर और सहकार भारती के फाउंडिंग मेंबर सतीश मराठे ने इस मुद्दे पर वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखी है. लेटर में मांग है कि इंडिविजुअल के लिए डिपॉजिट कवर को कम से कम 5 लाख रुपए किया जाए. अभी यह रकम एक लाख रुपए ही है. 

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लेटर में शिक्षण, धर्मार्थ, धार्मिक संस्थान या फिर दूसरे संस्थान के बैंक जमा पर कम से कम 25 लाख का डिपॉजिट कवर किया जाए. फिलहाल इंडिविजुअल और संस्थान दोनों के लिए ही एक लाख रुपए की डिपॉजिट कवर की सीमा है. ये भी मांग की गई है कि DICGC एक्ट में बदलाव कर बैंकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर पर अतिरिक्त इंश्योरेंस कवर लेने की इजाजत दी जानी चाहिए. ताकि बैंक अपने ग्राहकों के हितों का ठीक तरह से खयाल रख पाएं. 

अलग से रिजर्व फंड बने

DICGC को फ्रॉड में फंसे बैंकों के लिए अलग से रिजर्व फंड बनाया जाना चाहिए. बैंकों को तीन साल का मौका देकर रिस्क आधारित प्रीमियम लागू करना चाहिए ताकि बैंकों के ग्राहक जोखिम को देखकर बैंक का चुनाव कर सकें. 

ज़ी बिजनेस की मुहिम

आपको बता दें कि ज़ी बिजनेस ने डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने की मुहिम छेड़ी है. डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर में आखिरी बार बदलाव 1993 में किया गया था उसके बाद से बदलाव नहीं किया गया है. अगर महंगाई के साथ 1 लाख रु की 1993 में तय सीमा को जोड़ा जाए तो आज इसकी वैल्यू करीब साढ़े 5 लाख रुपए बैठती है.

डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर

-RBI बोर्ड मेंबर सतीश मराठे ने लिखी FM को चिट्ठी

-सहकार भारती की ओर से लिखी गई FM को चिट्ठी

-इंडिविजुअल कवर बढ़ाकर 5 लाख रु करने की मांग

-संस्थानों का कवर बढ़ाकर 25 लाख रु करने की डिमांड

-अभी इंडिविजुअल, संस्थान दोनों का कवर 1 लाख रुपए

-यह भी मांग है कि बैंकों को अतिरिक्त कवर की छूट मिले

-बैंक चाहें तो ग्राहकों के लिए अतिरिक्त कवर ले सकेंगे

-फ्रॉड में फंसे बैंकों के लिए DICGC में रिजर्व फंड बनें

-3 साल का मौका देकर रिस्क बेस्ड प्रीमियम लागू हो

-जिन बैंकों में रिस्क ज्यादा उनका प्रीमियम अधिक हो