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Home Loan से जुड़े इन 5 तरीकों का करें इस्तेमाल, बचेंगे आपके लाखों रुपये, कम ही लोगों को हैं पता

हर शख्स का ये सपना होता है कि उसका अपना घर हो. हालांकि, जब बात आती है घर खरीदने की तो 80-90 फीसदी लोगों को जरूरत पड़ती है होम लोन (Home Loan) की. होम लोन का भार इतना अधिक होता है कि लगभग हर किसी को मूल से भी ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है.
Updated on: June 10, 2024, 03.22 PM IST
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1- होम लोन की अवधि कम से कम रखें

अगर आप होम लोन की अवधि ज्यादा सालों की रखेंगे, तो आपको उस पर अधिक ब्याज चुकाना होगा. वहीं अगर आप कम अवधि रखेंगे, तो आपको कम ब्याज चुकाना होगा. हालांकि, अवधि जितनी कम करते जाएंगे, आपकी ईएमआई उतनी ही बढ़ती जाएगी. अगर आप 50 लाख रुपये का होम लोन 9 फीसदी ब्याज दर पर 15 साल के लिए लेते हैं तो आपको उस पर 41 लाख रुपये का सिर्फ ब्याज चुकाना पड़ेगा. वहीं अगर आप 20 साल की ईएमआई बनवाते हैं तो आपको 58 लाख रुपये ब्याज के तौर पर चुकाने होंगे.

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2- इनकम बढ़ने के साथ बढ़ाते जाएं ईएमआई

होम लोन लेते वक्त और होम लोन लेने के 10-15 साल तक के स्थितियां काफी बदल जाती हैं. मान लीजिए कि आपने 50 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए लिया है. अगर आप इस लोन के लिए ईएमआई को हर साल 10 फीसदी की दर से बढ़ाते जाएं, तो आपका होम लोन महज 10 साल में निपट सकता है.  

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3- एक अच्छा टर्म इंश्योरेंस जरूर लें

हर किसी को एक अच्छा टर्म इंश्योरेंस जरूर लेना चाहिए. इससे आपके परिवार को आपने ना रहने पर किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना होगा. होम लोन लेने के बाद अगर कोई अनहोनी हो जाए तो टर्म इंश्योरेंस के पैसों से आपका परिवार लोन की बकाया राशि चुका सकता है. अगर आपके पास इंश्योरेंस नहीं होगा तो मुमकिन है कि होम लोन की बकाया राशि के लिए बैंक आपके ना रहने पर आपके घर पर कब्जा कर ले.

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4- पत्नी के साथ मिलकर ज्वाइंट होम लोन लें

अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं तो उसे ज्वाइंट होम लोन लेकर खरीदें और दोनों के नाम पर रजिस्ट्री करवाएं. ऐसे में आप दोनों ही होम लोन पर मिलने वाले टैक्स बेनेफिट क्लेम कर सकते हैं. इस तरह देखा जाए तो आपको टैक्स में दोगुना फायदा होगा. प्रिंसिपल अमाउंट पर आप दोनों ही 1.5-1.5 लाख रुपये यानी कुल 3 लाख रुपये 80सी के तहत क्लेम कर सकते हैं. वहीं ब्याज पर दोनों को 2-2 लाख रुपये तक का टैक्स बेनेफिट सेक्शन 24 के तहत मिल सकता है. यानी देखा जाए तो आप कुल मिलाकर 7 लाख रुपये तक पर टैक्स का फायदा पा सकते हैं. हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आपका होम लोन कितने रुपये का है.

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5- ब्याज दर बढ़ने पर होम लोन को कराएं रीस्ट्रक्चर

ब्याज दर बढ़ने के साथ ही बैंक ग्राहकों के लोन की अवधि के साथ एडजस्ट कर देते हैं. ऐसा इसलिए करते हैं ताकि ग्राहकों पर अधिक ईएमआई का बोझ ना पड़े. वहीं बैंक चाहते भी हैं ऐसा ही करना, क्योंकि आप जितने ज्यादा दिनों तक ईएमआई देते रहेंगे, आपसे बैंक की कमाई उतनी ही ज्यादा होगी. अधिकतर लोग शुरुआत में इस पर ध्यान नहीं देते. बाद में जब उन्हें पता चलता है कि उनके लोन की अवधि तो बहुत लंबी हो गई है, तो वह बैंक से इसकी शिकायत करते हैं. अगर आप नहीं चाहते कि आपके होम लोन की अवधि बढ़ जाए, तो जब-जब ब्याज दरें बढ़ें, तो आपको बैंक से बात कर के अपने होम लोन को रीस्ट्रक्चर करवाना होगा. यानी आपको बैंक से कहना होगा कि वह अवधि ना बढ़ाए, बल्कि ईएमआई को नई ब्याज दर के हिसाब से बढ़ा दे.