Phishing Alert: आज के समय में हमारा ज्यादातर काम आसानी से ऑनलाइन हो जाता है. बैंक से जुड़े ट्रांजैक्शन से रेस्त्रां से खाना मंगाने तक हम सब कुछ ऑनलाइन ही कर लेते हैं. ऐसे में हमारी फाइनेंशियल इंफॉर्मेशन से लेकर पर्सनल डेटा जैसे मोबाइल नंबर, एड्रेस या ईमेल तक सब कुछ ऑनलाइन लीक होने के चांसेज भी काफी बढ़ गए हैं. हैकर्स इन जानकारी का फायदा उठाकर बड़ी ही आसानी से हमारे बैंक अकाउंट में सेंध लगाकर हमें चपत लगा सकते हैं. अगर आपको भी इस भारी नुकसान से बचना है, तो कुछ बातों को जरूर ध्यान रखें.

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फिशिंग क्या है?

किसी की भी पर्सनल जानकारी या डेटा को गलत तरीके से हासिल करने की इलेक्ट्रॉनिक तकनीक को फिशिंग कहते हैं. इसके लिए हैकर्स लुभावने ऑफर्स, फेक मेल्स और लिंक्स का इस्तेमाल करते हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे मछली पकड़ने के लिए आप नदी में चारा डालते हैं उसी तरह हैकर्स आपकी निजी जानकारी को हासिल करने के लिए लुभावने ऑफर्स का चारा डाल कर फिशिंग (Phishing) करते हैं.

फिशिंग को कैसे पहचानें

कोई भी मैसेज, ईमेल या लिंक्स किसी भी फिशिंग का हिस्सा है या नहीं इसे बस कुछ बातों को ध्यान में रखकर जाना जा सकता है. जैसे,

  • ऐसे लुभावने ऑफर्स जिनपर यकीन न हो
  • किसी तरह की इमरजेंसी या धमकी भरे मैसेज
  • अजीबोगरीब बिजनेस ऑफर्स
  • किसी अनजान लिंक्स से ऐप इंस्टॉल करने की रिक्वेस्ट
  • पैसे, बैंकिंग क्रेडेंशियल या पर्सनल इंफॉरमेंशन शेयर करने की रिक्वेस्ट
  • मैसेज या ईमेल्स में स्पेलिंग या ग्रामर की गलतियां
  •  ईमेल या मैसेज में भेजने वाली की जानकारी न होना

फिशिंग से कैसे बचें

  • किसी भी अनजान लिंक या ईमेल का रिप्लाई न दें, बल्कि उसे डिलीट कर दें
  • मैसेज या ईमेल भेजने वालों को ब्लॉक कर दें
  • किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, और न ही ऐसे किसी लिंक से कोई ऐप इंस्टॉल करें
  • OTP, PIN या पासवर्ड किसी से भी शेयर न करें
  • किसी भी तरह से फिशिंग या फ्रॉड की जानकारी होने पर या इसका शिकार होने पर भारत सरकार के पोर्टल www.cybercrime.gov या साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं