आज के समय में बैंक कई तरह के लोन ग्राहकों को ऑफर करते हैं. इसमें होम लोन, कार लोन से लेकर पर्सनल लोन तक तमाम ऑप्‍शंस शामिल हैं. लोग जरूरत के हिसाब से इन लोन के लिए अप्‍लाई करते हैं. लोन लेकर आप अपना काम तो आसानी से कर लेते हैं, लेकिन इसे चुकाने की लायबिलिटी बढ़ जाती है. कई वर्षों तक इनकी ईएमआई चुकानी होती है. ऐसे में हर महीने किस्‍त भरना सिरदर्द लगने लगता है. 

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हालांकि अगर आप चाहें तो लोन का प्रीपेमेंट करके समय से पहले भी कर्ज से छुटकारा पा सकते हैं. होम लोन प्रीपेमेंट वगैरह करने पर आमतौर पर बैंक पेनल्‍टी वसूल नहीं करते हैं या कुछ विशेष स्थितियों में वसूलते हैं. लेकिन अगर आपने पर्सनल लोन लिया है तो समय से पहले निपटारा करने पर प्रीपेमेंट पेनल्‍टी ली जा सकती है. ऐसे में आपको लोन प्रीपेमेंट का फैसला लेने से पहले कैलकुलेशन कर लेनी चाहिए ताकि आपको ये पता रहे कि आपका डिसीजन मुनाफे का है या नहीं.

पहले समझिए बैंक क्‍यों वसूलते हैं लोन प्रीपेमेंट पेनल्‍टी

लोन पर कितना ब्‍याज वसूला जाएगा, इसका कैलकुलेशन उधारकर्ता के लोन टेन्‍योर पर निर्भर करता है और उसी हिसाब से EMI को तैयार किया जाता है. लेकिन अगर आप टेन्‍योर के बीच में प्रीपेमेंट का ऑप्‍शन चुनते हैं तो बैंक आपसे वो ब्‍याज नहीं ले पाते, जितना आपके पूरे टेन्‍योर में ले सकते थे. वहीं पर्सनल लोन की बात करें तो ये अनसिक्‍योर्ड लोन है और इसकी ब्‍याज दरें काफी ज्‍यादा होती हैं. ऐसे में अगर आप इसे समय से पहले खत्‍म करते हैं तो बैंक का नुकसान होता है. इस नुकसान की भरपाई वो लोन प्रीपेमेंट पेनल्‍टी के जरिए करते हैं. हालांकि प्रीपेमेंट पेनल्‍टी कितनी लगेगी, ये सब शर्तों में शामिल होता है. कोई लेंडर फिक्स्ड पेनल्टी चार्ज करता है तो कोई पर्सेंट के आधार पर चार्ज करता है. इसलिए जब भी आप लोन लें, तो इसकी शर्तों को अच्‍छे से समझ लें.

प्रीपेमेंट का फैसला लेने से पहले करें ये कैलकुलेशन

लोन प्रीपेमेंट का फैसला आपके लिए फायदे का है या नहीं, ये समझने के लिए पहले ये देखें कि लोन की शर्तों में प्रीपेमेंट पेनल्‍टी का जिक्र है या नहीं. अगर नहीं है तो आप ये फैसला आसानी से ले सकते हैं. वहीं अगर लोन पर Prepayment Penalty वसूल की जा रही है तो आपको एक कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचें.

पहले देखें कि कितने पहले लोन चुकाने पर कितनी पेनल्‍टी वसूल की जाएगी. इसके बाद अपने बचे हुए लोन पर दिए जाने वाले कुल इंटरेस्‍ट को कैलकुलेट करें. इसके बाद इंटरेस्‍ट से पेनल्‍टी को घटा दें. इसके बाद जो उत्‍तर आपको मिलेगा, उसके हिसाब से फैसला करें. अगर आपको पेनल्‍टी देकर भी इंटरेस्‍ट में अच्‍छी खासी बचत हो रही है, तो आप लोन प्रीपेमेंट का फैसला ले सकते हैं. अगर मामला बराबर का ही बैठ रहा है, तो आपको लोन प्रीपेमेंट का एक ही फायदा होगा ईएमआई से मुक्ति मिल सकती है. अपनी स्थिति को देखकर डिसीजन लें. वहीं अगर आपको लगता है कि उत्‍तर नेगेटिव है, तो आपको प्रीपेमेंट से नुकसान ही होगा, ऐसे में लोन को पूरे टेन्‍योर में चुकाना ही समझदारी होगी.