भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने संकेत दिए हैं कि उसने अभी तक न तो आईसीआईसीआई बैंक को और न ही बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर को क्लीन चिट दिया है. बैंक और कोचर पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस के नियमों के उल्लंघन का आरोप है. चंदा कोचर और आईसीआईसीआई बैंक के खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में आरटीआई के माध्यम से पूछे गए एक सवाल के जवाब में आरबीआई ने कहा है कि केंद्रीय बैंक फिलहाल आईसीआईसीआई बैंक के साथ जांच के सिलसिले में अपना काम कर रहा है. इसमें बाहरी एजेंसियों की मदद ली जा रही है. अभी जांच का काम खत्म नहीं हुआ है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसे में जांच के बीच में इस तरह की खबरें बैंक के कारोबार और साख दोनों को नुकसान पहुंचा सकती हैं. साथ ही जांच कार्य में भी बाधा पड़ सकती है. बैंक की एमडी चंदा कोचर फिलहाल छुट्टी पर हैं. उनके खिलाफ लगे कई आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्ण की अगुवाई में हो रही है. खबर थी कि वीडियोकॉन के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति और दो अन्य रिश्तेदार के साथ स्थापित किए गए फर्म नुपावर रिन्यूएबल प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) को 64 करोड़ रुपए का लोन उपलब्ध कराया. वेणुगोपाल ने यह लोन समूह को वर्ष 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन मिलने के ठीक छह माह बाद उपलब्ध कराया था.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, धूत ने आईसीआईसीआई बैंक से लोन मिलने के छह माह बाद ही कंपनी का स्वामित्व अपने विश्वासपात्र दीपक कोचर को महज 9 लाख रुपए में स्थानांतरित कर दिया. वर्ष 2017 में वीडियोकॉन अकाउंट को एनपीए या बैड लोन घोषित कर दिया गया. बैंक बोर्ड ने शुरू में चंदा कोचर का बचाव किया. हालांकि 30 मई को जब चंदा के खिलाफ नई शिकायत दर्ज की गई तो बोर्ड ने कह दिया कि इस मामले में जांच एक स्वतंत्र और विश्वसनीय शख्स के द्वारा कराई जाएगी और जांच भी विस्तृत होगी.

बाजार नियामक सेबी ने बैंक और चंदा कोचर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसका जवाब अभी हाल में दोनों की तरफ से दिया गया है. दोनों ने सेबी को बताया कि उन्हें दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के बीच के संबंधों की जानकारी नहीं थी. इस मामले में सेबी जल्द फैसला लेगा.