क्या होती है दिवाला प्रक्रिया, आखिर कब आती है दिवालिया होने की नौबत, क्या हैं आपके अधिकार? यहां जानें सबकुछ
Bankruptcy Act: बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर रह चुके नितिन देसाई का शव बुधवार को महाराष्ट्र के रायगढ़ में उनके स्टूडियो में लटका मिला था. उनके खिलाफ पिछले हफ्ते ही दिवाला कोर्ट ने दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की याचिका को मंजूरी दी थी.
Bankruptcy Act: बुधवार को जाने-माने फिल्म कला निर्देशक नितिन देसाई (Nitin Desai Suicide Case) के निधन की दुर्भाग्यपूर्ण खबर आई. उनकी मौत की खबर के बाद जानकारी निकलकर आई है कि उनके खिलाफ पिछले हफ्ते ही दिवाला कोर्ट ने दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की याचिका को मंजूरी दी थी. देसाई पर 250 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसे वो चुका नहीं पाए थे, इसके बाद कोर्ट से उनके खिलाफ बैंकरप्सी का केस चलाने जाने का आदेश आ गया था.
क्या था नितिन देसाई का पूरा मामला?
‘लगान’ और ‘देवदास’ जैसी बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर रह चुके नितिन देसाई का शव बुधवार को महाराष्ट्र के रायगढ़ में उनके स्टूडियो में लटका मिला था. उन्होंने खालापुर तालुका में यह स्टूडियो खोला था. इसमें ‘जोधा अकबर’ जैसी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है. माना जा रहा है कि उन्होंने आत्महत्या की है. अभी यह पता नहीं चल सका है कि उन्होंने यह कदम क्यों उठाया. लेकिन पहली जानकारी में पता चला है कि उन्होंने अपने वित्तीय ऋणदाता को 252 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाया था. और पिछले सप्ताह ही एक दिवाला अदालत ने उनके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की याचिका को स्वीकार किया था. देसाई की कंपनी ND Art World Pvt. Ltd. ने दो बार में 2016 और 2018 में ECL Finance से 185 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. जनवरी, 2020 से उनके सामने कर्ज भुगतान का संकट शुरू हो गया.
25 जुलाई को आया था कोर्ट का फैसला
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की मुंबई पीठ ने 25 जुलाई को Edelweiss Asset Reconstruction की देसाई की कंपनी के खिलाफ दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता प्रक्रिया शुरू करने की याचिका स्वीकार की थी. एनसीएलटी के सदस्य (न्यायिक) एच वी सुब्बा राव और सदस्य (तकनीकी) अनु जगमोहन सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जितेंद्र कोठारी को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया था. आदेश में कहा गया था कि ऋणदाताओं ने 31 मार्च 2021 को कंपनी के खाते को NPA में डाला है. 30 जून 2022 तक ऋण चूक (डिफॉल्ट) की कुल राशि 252.48 करोड़ रुपये थी.
लेकिन दिवालिया होने की नौबत कब आती है?
जब कोई भी कर्जदार अपना कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं रहता, तो दिवालियापने की स्थिति आ जाती है, इससे आम बोल-चाल की भाषा में दिवालिया निकलना भी बोलते हैं. अगर आपकी देनदारी आपकी संपत्ति से ज्यादा हो जाए और आप कुछ खुद को कर्ज चुका पाने की स्थिति में न पाएं तो ऐसी स्थिति में दिवालिया घोषित होने की नौबत आ जाती है. कुछ मामलों में कर्जदार खुद को दिवालिया घोषित कर सकता है, इसके लिए उसे दिवाला कोर्ट में अर्जी डालनी होती है, वहीं कुछ केस में कर्ज देने वाली संस्था कोर्ट ले जाती है. अगर यह साबित हो जाता है कि आप सच में अपना कर्ज नहीं चुका सकते, तो आपको दिवालिया घोषित कर दिया जाता है.
दिवालिया होने की स्थिति में क्या हैं आपके अधिकार?
अगर आप दिवालिया घोषित हो चुके हैं, तो इसके बाद भी आपको केस में कुछ अधिकार मिलते हैं. जैसे कि दिवालिया घोषित होने के बाद कर्ज देने वाली संस्था व्यक्ति को कर्ज भरने के लिए बाध्य नहीं कर सकती. अगर दिवाला प्रक्रिया 180 दिनों में पूरी नहीं होती है तो कुछ विशेष मामलों में इसमें 90 दिनों का इजाफा और किया जा सकता है. इस केस को फास्ट ट्रैक पर रखकर आगे बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा, अगर दिवालिया घोषित हो चुका शख्स अगर चाहे तो कोर्ट में गिरफ्तारी या हिरासत से बचाव के लिए अर्जी डाल सकता है और कोर्ट उसे ये सुरक्षा दे सकती है.
दिवालिया घोषित होने के बाद कैसे चुकाया जाता है लोन?
दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट एक समाधान अधिकारी नियुक्त करता है, जो दिवालिया व्यक्ति की संपत्तियों को अपने अधीन रखता है और फिर उन्हें बेचकर कर्ज चुकाता है. अगर कर्ज के अलावा कोई टैक्स भी बकाया है, तो उसे भी उसी रकम से चुकाया जाता है. अगर कर्ज चुकाने के बाद संपत्ति की बिक्री की रकम बच जाती है, तो ये केंद्र और राज्य सरकार के हिस्से में चली जाती है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें