जीरो बैलेंस वाले बैंक अकाउंट का इस्तेमाल हुआ कम, नंदन नीलेकणि ने बताई ये वजह
Zero balance account charges: पिछले कुछ वर्षों में सरकार और बैंकों के आक्रामक अभियानों की वजह से देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के खाते बैंकों में खुले हैं. लेकिन इन बैंक खातों का लेनदेन के लिए इस्तेमाल अधिक नहीं हो रहा है.
Zero balance account charges: दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी Infosys के सह-संस्थापक एवं चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने मंगलवार को कहा कि लोग बैंकों की तरफ से लगाए जाने वाले कई तरह के शुल्कों की वजह से ‘जीरो बैलेंस’ बैंक खातों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. नीलेकणि ने इस समस्या को 'समाधान के लायक' बताते हुए कहा कि इसका समाधान निकालना इसलिए भी जरूरी है कि दूसरे देश इसका अनुकरण कर सकते हैं.
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में सरकार और बैंकों के आक्रामक अभियानों की वजह से देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के खाते बैंकों में खुले हैं. लेकिन न्यूनतम राशि की अनिवार्यता से मुक्त इन बैंक खातों का लेनदेन के लिए इस्तेमाल अधिक नहीं हो रहा है.
नीलेकणि ने क्या कहा?
नीलेकणि ने यहां ग्लोबल एसएमई फाइनेंस फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि बैंक खातों में राशि जमा होने के बावजूद लोग लेनदेन नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह बैंकों की तरफ से लेनदेन पर शुल्कों की वसूली है. आधार कार्ड परियोजना के सूत्रधार रहे नीलेकणि ने कहा, ‘‘कई स्थानों पर इन बुनियादी बैंक खातों का परिचालन आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं पाया जा रहा है. इन खातों पर कई तरह के शुल्क लगा दिए गए हैं. ऐसे में लोगों ने इन खातों का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया है.’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि बैंकों के परिचालन से जुड़ी इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.
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