आजकल डिजिटल पेमेंट का जमाना है. एक क्लिक में किसी को भी रकम आसानी से ट्रांसफर की जा सकती है. डिजिटल पेमेंट करना वैसे तो काफी सुविधाजनक है, लेकिन जरा सी लापरवाही आपको मुश्किल में भी डाल सकती है. कई बार जल्‍दबाजी में एक डिजिट भी गलत हो जाए तो पैसे गलत अकाउंट में ट्रांसफर हो सकते हैं. अगर आपके साथ कभी ऐसा कुछ हो जाए, तो परेशान न हों. कुछ आसान स्‍टेप्‍स आजमाकर आप इन पैसों को वापस अकाउंट में लाने का प्रयास कर सकते हैं.

आईएफएससी गलत होने पर

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कई बार अमाउंट ट्रांसफर करते समय आईएफएससी कोड गलत हो जाता है, या जिस अकाउंट में आपके पैसे गए हैं, वो अकाउंट अब एग्जिस्‍ट नहीं करता, ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. बस एक बार आपको बैंक में जाकर इस बारे में इन्‍फॉर्म करना चाहिए. ऐसे मामलों में अधिकतर आपका अमाउंट खुद ही रिटर्न हो जाता है.

सेंडर और रिसीवर का एक ही बैंक में खाता होने पर

अगर आपका खाता और अमाउंट रिसीव करने वाले का खाता एक ही बैंक में है, तो सबसे पहले आपको बैंक की ब्रांच में जाकर गलत ट्रांजेक्‍शंस होने की सूचना देनी चाहिए और इससे जुड़े सभी सबूत बैंक को दें. आपकी सूचना पर बैंक रिसीवर को कॉल या मैसेज के जरिए संपर्क करके मध्‍यस्‍थ की भूमिका निभाता है. ऐसे में अगर रिसीवर अप्रूवल दे देता है, तो 7 दिनों के अंदर आपके पैसे अकाउंट में वापस आ सकते हैं. लेकिन अगर आपके पैसे किसी अलग बैंक के अकाउंट में गए हैं तो आपको उस बैंक के अधिकारियों से मिलना होगा और सारे गलत ट्रांजेक्‍शन होने के सारे सबूत देने होंगे. लेकिन इस मामले में आपके पैसे वापस आने या न आने की स्थिति रिसीवर पर निर्भर करती है.  लेकिन अगर रिसीवर अमाउंट आने की बात को स्‍वीकार कर लेता है तो आपको उसके बैंक में आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और कुछ कागजात जमा कराने पड़ सकते हैं.

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अगर रिसीवर पैसे देने से मना कर दे

अगर रिसीवर पैसे लौटाने के लिए मना कर दे, तो मामला थोड़ा पेचीदा हो सकता है. ऐसे मामले में आप कोर्ट का सहारा ले सकते हैं और रिसीवर को कानूनी नोटिस भेज सकते हैं. लेकिन इस तरह आपका मामला लंबा खिंच सकता है. बता दें कि इस मामले में रिजर्व बैंक का नियम कहता है कि अगर आपसे गलत ट्रांजेक्‍शन हुआ है, तो इस मामले में बैंक को दोषी नहीं माना जाता है, क्‍योंकि सारी डीटेल्‍स आप खुद भरते हैं. बैंक सिर्फ इस मामले में मध्‍यस्‍थता कर सकता है.