Microfinance Loans 11 प्रतिशत बढ़कर 71,916 करोड़ रुपये पर पहुंचा, 3 लाख करोड़ रुपये के पार रहा इंडस्ट्री का पोर्टफोलियो
देश में माइक्रोफाइनेंस लोन (Microfinance Loans) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में करीब 11 फीसदी बढ़कर 71,916 करोड़ रुपये हो गया है. जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ये 64,899 करोड़ रुपये था.
देश में माइक्रोफाइनेंस लोन (Microfinance Loans) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में करीब 11 फीसदी बढ़कर 71,916 करोड़ रुपये हो गया है. जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ये 64,899 करोड़ रुपये था. इंडस्ट्री के आंकड़ों से ये जानकारी मिली. 'माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क' (MFIN) की ‘एमएफआईएन माइक्रोमीटर’ रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में कुल 1.81 करोड़ कर्ज आवंटित किए गए जबकि 2021-22 की दूसरी तिमाही में दिए गए कर्ज की संख्या 1.85 करोड़ थी.
3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा माइक्रोफाइनेंस लोन पोर्टफोलियो
इस रिपोर्ट में कहा गया कि सितंबर 2022 के आखिर तक देश का कुल माइक्रोफाइनेंस लोन पोर्टफोलियो 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा. ये कर्ज 6.2 करोड़ कर्जदारों को 12 करोड़ कर्ज खातों में दिए गए. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री का मौजूदा कुल ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो 30 सितंबर 2022 तक 3,00,974 करोड़ रुपये रहा है जो पिछले साल के 2,43,737 करोड़ रुपये की तुलना में सालाना आधार पर 23.5 फीसदी ज्यादा है.’’
बैंकों ने माइक्रो लोन डिस्ट्रिब्यूशन में निभाई सबसे बड़ी भूमिका
माइक्रो लोन डिस्ट्रिब्यूशन में से सबसे ज्यादा 37.7 फीसदी की हिस्सेदारी 13 बैंकों की है जिन्होंने 1,13,565 करोड़ रुपये के कर्ज दिए. दूसरे स्थान पर नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट्स हैं जिन्होंने 1,10,418 करोड़ रुपये का कर्ज दिया, जो इस इंडस्ट्री के कुल लोन का 36.7 फीसदी है. माइक्रो फाइनेंस बैंकों का कुल कर्ज आवंटन 50,029 करोड़ रुपये यानी कुल कर्ज का 16.6 फीसदी है.
साल 2025 तक 17-20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है मांग
रिपोर्ट में कहा गया कि समीक्षाधीन तिमाही में प्रति अकाउंट ऐवरेज लोन डिस्ट्रिब्यूशन 40,571 रुपये है और ये सालाना आधार पर 12 प्रतिशत ज्यादा है. माइक्रो फाइनेंस के एक्टिव लोन अकाउंट्स 30 सितंबर तक, बीते 12 महीनों में 14.2 फीसदी बढ़कर 12 करोड़ हो गए. माइक्रो-फाइनेंस लोन डिस्ट्रिब्यूशन के मामले में तमिलनाडु सबसे आगे रहा, जिसके बाद बिहार और पश्चिम बंगाल का स्थान है.
इस रिपोर्ट पर एमएफआईएन के सीईओ और डायरेक्टर आलोक मिश्रा ने कहा कि माइक्रो फाइनेंस की बढ़ोतरी की रफ्तार और बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अनुमानित कर्ज मांग 2025 तक 17-20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.
पीटीआई इनपुट्स के साथ