आजकल लोग अपने तमाम काम लोन के जरिए पूरे करते हैं. लोन लेने के बाद हर महीने EMI भी देनी होती है. लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं कि व्‍यक्ति के लिए लोन को चुका पाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में उसे बैंक लोन डिफॉल्‍टर मान लेता है. ऐसे में लोन डिफॉल्‍टर्स को ये डर रहता है कि कहीं लोन‍ रिकवरी एजेंट्स उनके साथ कोई बदसलूकी न करें, जिससे समाज में उनकी छवि धूमिल हो जाए. 

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अगर आपने भी लोन लिया है या लेने जा रहे हैं, तो आपको अपने कुछ मानवीय अधिकारों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है. ध्‍यान रखिए बैंक अगर आपको लोन डिफॉल्‍टर घोषित कर भी दे, तो भी बैंक आपके साथ बदसलूकी नहीं कर सकता क्‍योंकि लोन डिफॉल्‍ट होना सिविल मामला है, आपराधिक केस नहीं. यहां जानिए आपके अधिकार-

पहले जानिए कब बैंक लोन डिफॉल्‍टर घोषित करता है?

अगर आप लोन की दो ईएमआई नहीं देते हैं, तो बैंक सबसे पहले आपको रिमाइंडर भेजता है. लेकिन जब उधार लेने वाला 90 दिनों तक लोन की किस्‍त नहीं चुकाता, तो बैंक आपको ऋण चुकाने के लिए एक कानूनी नोटिस भेजता है. मगर चेतावनी के बाद भी अगर आपने ईएमआई पूरी नहीं की तो बैंक की तरफ से आपको डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा. 

लोन डिफॉल्‍टर से बदसलूकी नहीं कर सकते रिकवरी एजेंट्स

लोन न चुकाने की स्थिति में कर्जदाता अपना लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों की सेवाएं ले सकते हैं. लेकिन, रिकवरी एजेंट्स अपनी हद पार नहीं कर सकते हैं. उन्हें ग्राहकों को धमकाने या बदसलूकी करने का अधिकार नहीं होता है. इसके अलावा रिकवरी एजेंट्स ग्राहक के घर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही जा सकते हैं. अगर एजेंट आपको फोन पर बार-बार धमकी दे रहा है और गाली-गलौज कर रहा है. आपको भद्दे और अश्लील मैसेज और बातें भेज रहा है. आपके ऑफिस तक, आपके बॉस तक पहुंच रहा है या ऐसा कुछ भी कर रहा है जिससे आप मानसिक रूप से प्रताड़‍ित हो रहे हैं, तो इसकी शिकायत बैंक में कर सकते हैं. बैंक से सुनवाई न होने पर आप कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं.

रिकवरी एजेंट्स के लिए क्या हैं RBI के निर्देश

  • बैंक जांच-परखकर रिकवरी एजेंट्स को हायर करें और उनका वेरिफिकेशन कराएं.
  • बैंकों की ओर से ग्राहकों को रिकवरी एजेंट और उसकी एजेंसी की जानकारी देनी चाहिए. 
  • बैंक की ओर से रिकवरी एजेंट को दिए गए नोटिस और ऑथराइजेशन लेटर में रिकवरी एजेंट्स के नंबर होने चाहिए और जो भी कॉल पर बातचीत होती है, वो रिकॉर्ड होनी चाहिए.
  • अगर ग्राहकों की ओर से रिकवरी प्रोसेस को लेकर कोई शिकायत होती है तो बैंकों के पास इसके समाधान के लिए प्लेटफॉर्म होना चाहिए.
  • एजेंट्स को ग्राहकों से मिलने पर अपनी आईडी दिखानी चाहिए. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो ग्राहक इसकी शिकायत कर सकते हैं. 
  • रिकवरी एजेंट ग्राहक से दुर्व्यवहार नहीं कर सकते, न ही किसी के सामने आपको शर्मिंदा कर सकते हैं. धमकी और गाली-गलौज की बात दूर है.
  • साथ ही रिकवरी एजेंट्स आपको ऊटपटांग टाइम पर कॉल भी नहीं कर सकता. एजेंट्स ग्राहक को बस सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच में ही कॉल कर सकते हैं.