इमरजेंसी कंडीशन में जब पैसों की जरूरत हो तो आप या तो अपने करीबियों से पैसा उधार लेकर काम चलाते हैं या फिर पर्सनल लोन लेकर जरूरत को पूरा करते हैं. लेकिन इन स्थितियों में आप क्रेडिट लाइन का ऑप्‍शन भी चुन सकते हैं. बैंकिंग भाषा में इसे Line of Credit कहा जाता है. पर्सनल लोन की तरह क्रेडिट लाइन के इस्‍तेमाल को लेकर किसी तरह की पाबंदी नहीं है. आप इसे बच्चों की फीस भरने के लिए, दवाओं, इलाज और घर की मरम्मत या किसी भी तरह का सामान खरीदने आदि कामों के लिए कर सकते हैं. हालांकि क्रेडिट लाइन का ऑप्‍शन कुछ मामलों में फायदेमंद है तो कुछ मामलों में इसके कुछ नुकसान भी हैं. यहां जानिए Line of Credit से जुड़ी जरूरी बातें.

क्‍या होता है क्रेडिट लाइन

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क्रेडिट लाइन आपको कर्ज के तौर पर मिली एक निश्चित रकम होती है. जिसमें से आप अपनी जरूरत के अनुसार रकम खर्च कर सकते हैं. आप जितनी रकम खर्च करते हैं, बैंक उतनी ही रकम पर आपसे ब्‍याज लेता है. बाकी बची हुई रकम क्रेडिट लाइन में ही पड़ी रहती है. उस पर कोई ब्‍याज नहीं लिया जाता. 

उदाहरण से समझें

मान लीजिए कि आपको क्रेडिट लाइन के तौर पर 2 लाख रुपए मिले हैं. लेकिन आपको उसमें से सिर्फ 50 हजार ही खर्च करने की जरूरत पड़ती है. ऐसे में आपको सिर्फ 50 हजार रुपए पर ही ब्‍याज देना होगा. बाकी के बचे डेढ़ लाख लाइन ऑफ क्रेडिट में ही पड़े रहेंगे. इन पर कोई ब्‍याज या जुर्माना नहीं लगेगा. आप अगर इसमें से 20 हजार और निकाल लेंगे तो आपको 70 हजार रुपए ब्‍याज समेत लौटाने होंगे. बकाया 1 लाख 30 हजार पर कोई ब्‍याज नहीं लगेगा.

ऐसे तय होती है रकम की राशि

क्रेडिट लाइन के तहत मिलने वाली राशि भी आपकी वित्‍तीय हैसियत और क्रेडिट स्‍कोर के आधार पर तय होती है. ये 3000 रुपए से लेकर 10 लाख तक भी हो सकती है. क्रेडिट लाइन शुरुआती लिमिट, उसकी ब्याज दर और अन्य नियम, लोन जारी करने वाले बैंक या अन्‍य वित्‍तीय संस्‍थान निर्धारित करते हैं. 

पर्सनल लोन Vs क्रेडिट लाइन

  • क्रेडिट लाइन की ब्‍याज दरें पर्सनल लोन की तुलना में ज्‍यादा होती हैं, लेकिन फिर भी क्रेडिट लाइन को कई मामलों में पर्सनल लोन से बेहतर विकल्‍प माना जाता है. इसकी कई वजह हैं-
  • क्रेडिट लाइन में आप लोन के प्रीपेमेंट चार्ज वगैरह से बच जाते हैं, जो कि पर्सनल लोन में आपको देना ही होता है.
  • पर्सनल लोन में आप जितनी राशि कर्ज के तौर पर लेते हैं, उतनी पूरी राशि पर आपको ब्‍याज देना पड़ता है. लेकिन क्रेडिट लाइन में न तो पूरी स्वीकृत मात्रा पर ब्याज लगता है और न ही उसे पूरा का पूरा इस्तेमाल में लेने की बाध्यता रहती है.
  • पर्सनल लोन के मुकाबले ये काफी लचीला है. पर्सनल लोन में आपको तय समय पर निश्चित ईएमआई देनी होती है, लेकिन क्रेडिट लाइन में आपको सिर्फ ब्‍याज देना होता है. प्रिंसिपल अमाउंट का भुगतान आप बाद में भी कर सकते हैं.
  • पर्सनल लोन की तरह ही क्रेडिट लाइन की रकम को भी खर्च करने को लेकर कोई बाध्‍यता नहीं होती है. आप उसे अपनी मर्जी के हिसाब से कहीं भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं. 

ये बात भी जानना जरूरी

ध्‍यान रखें कि अगर आप इसमें मूलधन का भुगतान नहीं करेंगे, तो ब्‍याज का भुगतान बढ़ता रहेगा. इसके अलावा क्रेडिट लाइन में अप्रत्‍याशित बदलाव की आशंका रहती है यानी क्रेडिट लाइन अप्रूव करने वाला बैंक आपकी लिमिट कम करने या किसी भी समय आपकी ब्‍याज दर बदलने का निर्णय ले सकता है. ऐसे में आपको पर्सनल लोन लेना चाहिए या क्रेडिट लाइन, ये फैसला आपको जरूरत और उपलब्‍ध विकल्‍पों को देखते हुए लेना चाहिए.

क्रेडिट कार्ड Vs क्रेडिट लाइन 

कुछ लोग कहते हैं कि क्रेडिट कार्ड और क्रेडिट लाइन एक जैसे मालूम पड़ते हैं, लेकिन इनमें थोड़ा फर्क है. क्रेडिट लाइन में आपको कोई कार्ड नहीं मिलता है, सिर्फ एक लोन एग्रीमेंट लाइन मिलती है. आप इस लाइन में से अपनी जरूरत के हिसाब से पैसा निकाल सकते हैं. आप जितनी रकम उस लाइन से निकालना चाहेंगे, उतनी रकम आपके अकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाएगी. खर्च की गई रकम को ब्‍याज के साथ आपको लौटाना पड़ता है. लेकिन क्रेडिट कार्ड में आपको एक निश्चित मात्रा में इकट्ठा पैसा ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया जाता है. उस रकम में से आप जितना खर्च करते हैं सिर्फ उतने पर ब्याज चुकाना पड़ता है. अगर ग्रेस पीरियड में खर्च किया गया पैसा लौटा दिया जाए तो उस पर ब्‍याज भी देने की जरूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा जो पैसे आप खर्च करने के बाद वापस लौटा देते हैं, वो फिर से आपकी लिमिट में जुड़ जाते हैं और आप फिर से उनका इस्‍तेमाल कर सकते हैं.