कोटक महिंद्रा बैंक को आरबीआई विवाद में लगा झटका, अंतरिम राहत से फिर इनकार
Kotak Mahindra Bank: साल्वे ने अदालत से कहा, ‘‘हमें अंतरिम राहत की जरूरत है. हम यह भरोसा दिलाते हैं कि मई, 2020 तक प्रवर्तक 20 प्रतिशत से अधिक मत का इस्तेमाल नहीं करेंगे.’’ अदालत ने हालांकि, इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला इतना आसान नहीं है.
बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कोटक महिंद्रा बैंक को उसके भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विवाद के मामले में फिर से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. यह मामला कोटक महिंद्रा बैंक में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी कम करने से जुड़ा है. कोटक महिंद्रा निजी क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा बैंक है. उच्च न्यायालय ने बैंक की नियामकीय कार्रवाई से अंतरिम राहत की अपील को ठुकराते हुए कहा कि यह मामला उतना आसान नहीं है जितना याचिकाकर्ता दिखा रहा है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 1 अप्रैल तय की है.
न्यायमूर्ति ए. एस. ओका तथा न्यायमूर्ति एम. एस. संकलेचा की खंडपीठ ने इस मामले में कोटक महिंद्रा बैंक की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की रिजर्व बैंक के निर्देश तथा प्रवर्तकों के वोटिंग अधिकार को कम करने के प्रस्ताव के मामले में अंतरिम राहत की मांग को खारिज कर दिया.
साल्वे ने अदालत से कहा, ‘‘हमें अंतरिम राहत की जरूरत है. हम यह भरोसा दिलाते हैं कि मई, 2020 तक प्रवर्तक 20 प्रतिशत से अधिक मत का इस्तेमाल नहीं करेंगे.’’ अदालत ने हालांकि, इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला इतना आसान नहीं है.
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साल्वे ने इसके बाद कहा कि आरबीआई बैंक के प्रवर्तकों को उनके शेयर बेचने के लिये जोर नहीं दे सकता. अदालत ने इसके बाद मामले को सुनवाई के लिये 1 अप्रैल को तय कर दिया. कोटक बैंक ने 10 दिसंबर 2018 को मामले में अदालत का रुख किया था. इसमें आरबीआई के 13 अगस्त 2018 के आदेश को चुनौती दी गई है.