भारतीय बैंकों की सेहत अगले 12-18 महीने तक नहीं बिगड़ेगी, मूडीज को है भरोसा
परिदृश्य का स्थिर रहना छह मानकों - परिचालन माहौल, संपत्ति की गुणवत्ता, पूंजी, वित्तपोषण एवं तरलता, मुनाफा एवं दक्षता और सरकारी समर्थन पर निर्भर करता है. मूडीज के अनुसार, ये मानक स्थिर हैं.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता के खराब रहने के बाद भी वृद्धि की संभावनाएं मजबूत बने रहने के कारण भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिये अगले 12-18 महीने की अवधि के लिये परिदृश्य स्थिर है. परिदृश्य का स्थिर रहना छह मानकों - परिचालन माहौल, संपत्ति की गुणवत्ता, पूंजी, वित्तपोषण एवं तरलता, मुनाफा एवं दक्षता और सरकारी समर्थन पर निर्भर करता है. मूडीज के अनुसार, ये मानक स्थिर हैं.
माहौल स्थिर बना रहेगा
मूडीज ने एक बयान में कहा कि मजबूत आर्थिक वृद्धि के समर्थन से माहौल स्थिर बना रहेगा. एजेंसी का मानना है कि निवेश में तेजी तथा मजबूत उपभोग के दम पर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर मार्च 2019 को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत और इसके बाद के वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत रहेगी. मूडीज के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ क्रेडिट अधिकारी श्रीकांत वद्लामणि ने कहा, ‘‘नरमी के बाद भी संपत्ति की गुणवत्ता में हो रहे सुधार और मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारण भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिये हमारा परिदृश्य स्थिर है.’’
एनबीएफसी की दिक्कत
एजेंसी ने कहा, हालांकि गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) में तरलता की दिक्कतें वृद्धि की दर में कमी लाएंगी. बढ़ती ब्याज दर भी एक जोखिम है. मूडीज ने संपत्ति की गुणवत्ता के बारे में कहा कि यह स्थिर लेकिन कमजोर रहेगी. मूडीज ने सरकारी बैंकों को सरकार का समर्थन मजबूत रहने का अनुमान व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘दिवाला शोधन की चुनौतियों के बाद भी सार्वजनिक बैंकों का वित्तपोषण एवं तरलता मजबूत बनी रहेगी. बैंकों का मुनाफा सुधरेगा लेकिन ऋण पर अधिक ब्याज दर के कारण नरम रहेगा.’’मूडीज भारत के 15 व्यावसायिक बैंकों की रेटिंग करता है.
चुनौती अब भी बरकरार
देश के सार्वजनिक बैंकों का बीते चार सालों में बड़ा कर्ज डूब गया है. भारतीय रिजर्ब बैंक ने हाल में स्वीकार किया है कि बीते चार वर्षों में बैंकों ने जितना कर्ज वसूला है उससे सात गुना बट्टे खाते में चला गया है. संसद की वित्तीय समिति के सामने आरबीआई ने ये आकंड़े पेश किए हैं. आरबीआई के आंकडों के मुताबिक, अप्रैल 2014 से लेकर अप्रैल 2018 तक देश के 21 सरकारी बैंक अपने कर्जदारों से 3,16,500 करोड़ रुपये का कर्ज वसूलने में नाकाम रहे औऱ बैंकों ने इस रकम को बट्टे खाते यानी एनपीए में डाल दिया है.
(इनपुट एजेंसी से)