भारतीय बैंक में दुनिया भर के बैंकों को पछाड़कर Digital champions बनने की क्षमता- रिपोर्ट
Digital Marketing Survey: भारतीय बैंक वैश्विक औसत की तुलना में डिजिटल मैच्योरिटीर स्कोर में अपने वैश्विक समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और उनमें दुनिया भर के बैंकों को पछाड़कर 'डिजिटल चैंपियन' बनने की क्षमता है.
Digital Marketing Survey: डेलॉयट की डिजिटल मार्केटिंग सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय बैंक वैश्विक औसत की तुलना में डिजिटल मैच्योरिटीर स्कोर में अपने वैश्विक समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और उनमें दुनिया भर के बैंकों को पछाड़कर 'डिजिटल चैंपियन' बनने की क्षमता है. डेलॉयट डिजिटल बैंकिंग मैच्योरिटी (DBM) सर्वे ने अमेरिका, चीन, भारत, यूके और ब्राजील जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं सहित 41 देशों में 304 बैंकों की जांच की, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह पहली बार है कि भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसा किया गया है.
सर्वे में 1,208 डिजिटल बैंकिंग कार्यों पर बैंकों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें रिटेल कस्टमर लाइफसाइकिल में 6 कस्टमर जर्नी शामिल हैं- इन्फॉर्मेशन जुटाना, खाता खोलना, कस्टमर ऑनबोर्डिंग, डे-टू-डे बैंकिंग, संबंधों को बढ़ाने और संबंधों को खत्म करना. सर्वे के परिणामों के आधार पर, 304 बैंकों को चार अलग-अलग स्तरों में वर्गीकृत किया गया था. टॉप 10% प्रदर्शन करने वालों को 'डिजिटल चैंपियन' (Digital champions) के रूप में मान्यता दी गई, उसके बाद Digital smart followers, Digital adopters, और Digital latecomers को मान्यता दी गई.
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भारतीय बैंकों का प्रदर्शन बेहतर
भारतीय बैंकों ने सर्वे बेहतर प्रदर्शन किया और कई प्रमुख कस्मटर जर्नी में ग्लोबल एवरेज को पीछे छोड़ दिया. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में सबसे आगे होने के कारण भारतीय बैंक ग्लोबल एवरजे की तुलना में अच्छी स्थिति में हैं. 1,208 फंक्शंस को इंटरनेट बैंकिंग फीचर्स और मोबाइल बैंकिंग फीचर्स के बीच लगभग समान रूप से विभाजित किया गया था. भारतीय बैंकों ने मोबाइल बैंकिंग में ग्लोबल एवरेज से 3% अधिक और इंटरनेट बैंकिंग में 1% अधिक अंक प्राप्त किए. उन्हें Digital smart followers और Digital adopters का खिताब मिला.
इस रिपोर्ट पर डेलॉयट इंडिया के पार्टनर, बैंकिंग और कैपिटल मार्केट्स लीडर, विजय मणि ने कहा, जब डिजिटल मैच्योरिटी की बात आती है तो दुनिया भर में सभी बैंकों के लिए कोई एक साइज फिट नहीं होता है, लेकिन भारत में बैंकों को तुलनात्मकता से बड़ा फायदा मिलता है.
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