15 अगस्त को देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. भारत ब्रिटिश राज से 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. हालांकि, स्वतंत्रता की खुशी अपने साथ बंटवारे का जख्म भी लेकर आया है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत का सेंट्रल बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आजादी से पहले और बाद दोनों का गवाह रहा है. यही नहीं, आरबीआई एक वक्त भारत के साथ-साथ पाकिस्तान और बर्मा का भी केंद्रीय बैंक था.  

हिल्टन यंग कमिशन की सिफारिश से बना था आरबीआई

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आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हिल्टन यंग आयोग की सिफारिशों के आधार पर की गई थी. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का द्वितीय) बैंक के कामकाज का वैधानिक आधार प्रदान करता है, जिसने 1 अप्रैल, 1935 को परिचालन शुरू किया. आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक बर्मा (अब म्यांमार) 1937 में भारतीय संघ से अलग हो गया, लेकिन रिज़र्व बैंक बर्मा के लिए जापानी कब्जे तक और बाद में अप्रैल, 1947 तक केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य करता रहा. 

1948 तक पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक था आरबीआई

आजादी से पहले  बैंकिंग विभाग के ऑफिस कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास, दिल्ली और रंगून में स्थापित किए गए. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक, भारत के विभाजन के बाद, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जून 1948 तक पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक के तौर पर काम करता रहा, जब तक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने ऑपरेशन शुरू किया. साल 1949 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था. 

70.48 लाख करोड़ रुपए है आरबीआई की बैलेंस शीट

आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2024 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की बैलेंस शीट 11 फीसदी बढ़कर 70.48 लाख करोड़ रुपए (लगभग 844.76 अरब डॉलर) हो चुकी है. ये पाकिस्तान की जीडीपी से ढाई गुना है. वित्त वर्ष 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के इनकम में 17.04 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, वित्त वर्ष 2024 में आरबीआई के खर्च में 56.03 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2024 में आरबीआई के सरप्लस में 141.23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.