IDBI Bank: कोरोना काल का असर अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सरकार के खजाने (Treasury) पर भी पड़ा है. ऐसे में सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य पर आगे बढ़ रही है. केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को IDBI Bank के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी. इसके बाद बैंक में कई बदलाव होंगे.

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सरकार ने IDBI बैंक लिमिटेड में रणनीतिक विनिवेश और मैनेजमेंट के ट्रान्सफर को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने बुधवार को इस मामले में सैद्धांतिक मंजूरी दी. आईडीबीआई बैंक पर एलआईसी का नियंत्रण है. सरकार द्वारा आईडीबीआई बैंक में कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी इसका फैसला एलआईसी, भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार विमर्श करके ट्रांजेक्शन की स्ट्रक्चरिंग के वक्त करेगी.

LIC की 49.24 फीसदी हिस्सेदारी (49.24 per cent stake of LIC)

NBT के मुताबिक आईडीबीआई बैंक में भारत सरकार और एलआईसी दोनों की मिलाकर 94 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है. इसमें से भारत सरकार की हिस्सेदारी 45.48% और LIC की 49.24% है. LIC अभी IDBI Bank की प्रमोटर है और उसी के पास बैंक के प्रबंधन का नियंत्रण है. वहीं सरकार को-प्रमोटर है.

बोर्ड ने पास किया प्रस्ताव (Board passed proposal)

LIC के बोर्ड ने एक रिजॉल्यूशन पास किया है कि LIC, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी विनिवेश के जरिए घटा सकती है. साथ ही सरकार भी अपनी हिस्सेदारी रणनीतिक विनिवेश के जरिए बेच सकती है.

क्या होंगे बदलाव (What will be the changes)

उम्मीद की जा रही है कि रणनीतिक खरीदार आईडीबीआई बैंक की कारोबारी क्षमता को बढ़ाने और इसकी ग्रोथ के लिए बैंक में पैसा लगाएंगे, नई टेक्नोलॉजी और सर्वश्रेष्ठ मैनेजमेंट सिस्टम की मदद लेंगे. साथ ही LIC और सरकार की मदद या फंड पर किसी भी तरह की निर्भरता के बिना ज्यादा बिजनेस जनरेट करेंगे. सरकारी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश के जरिए आने वाली रकम का इस्तेमाल डेवलपमेंटल प्रोग्राम्स को फाइनेंस करने के लिए किया जाएगा.

आपको बता दें कि IDBI एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था. जून, 2018 में LIC ने आईडीबीआई में 21,000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. इसके बाद LIC और सरकार ने मिलकर IDBI बैंक को 9,300 करोड़ रुपये दिए.

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