बेकार पड़े बैंक खातों से होता है नुकसान, तुरंत बंद कराने में है फायदा
सैलरी अकाउंट जीरो बैलेंस वाले खाते (zero balance salary account) होते हैं. इन खातों में न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी नहीं होता है.
हमारे देश में तमाम ऐसे लोग होंगे जिन्होंने बैंकों में अपना खाता तो खुलवाया लेकिन उसे आगे लंबे समय तक चलाया नहीं और बीच में ही उसे छोड़ देते हैं. नौकरीपेशा वालों के साथ भी ऐसा होता है कि नौकरी बदलते ही या फिर किसी और शहर में ट्रांसफर होने पर पुरानी नौकरी या पुराने शहर में खुला बैंक खाता यूं ही छोड़ देते हैं. उसे न तो बंद कराते हैं और न ही उसे आगे चालू रखते हैं.
बेकार पड़े बैंक खाते (unused bank account) बैंक समेत अकाउंट होल्डर के लिए भी नुकसानदायक होते हैं. ऐसे अकाउंट आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए इस तरह के खातों को समय पर बंद करा देने में ही भलाई है.
सैलरी अकाउंट जीरो बैलेंस वाले खाते (zero balance salary account) होते हैं. इन खातों में न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी नहीं होता है. नौकरी बदलते के बाद अपने सैलरी अकाउंट को या तो नई नौकरी में ट्रांसफर करा लेना चाहिए. नहीं तो उसे बंद करा दें.
क्योंकि सैलरी अकाउंट तीन महीने बाद सामान्य बचत खाता (savings account) हो जाता है. अब इसमें न्यनूतम बैलेंस रखना जरूरी हो जाता है. अगर आप इसमें न्यूनतम बैलेंस नहीं रख रहे हैं तो बैंक इसके लिए आप से हर महीने एक्स्ट्रा चार्ज वसूलेगा. जो कि 100 रुपये से लेकर 700 रुपये तक हो सकता है.
इसके अलावा ऐसे खातों पर बैंक डेबिट कार्ड का चार्ज भी बसूलते हैं. इसलिए इन फालतू के चार्ज से बचने के लिए अपने पुराने खाते को बंद कराने में भी भलाई है.
इसके अलावा ऐसे खाते बैंकों के लिए भी एक बोझ ही होते हैं. क्योंकि बैंकों के इनका हिसाब-किताब रखना पड़ता है. जिस पर काफी खर्चा होता है.
खाता बंद कराने का नियम
सेविंग अकाउंट बंद कराने के लिए आपको बैंक में एक एप्लीकेशन देनी होती है. बैंक आपकी एप्लीकेशन के आधार पर आपका खाता बंद कर देता है. खाता को बंद कराने के लिए ब्रांच में जाकर आपको अकाउंट क्लोजर फॉर्म भरना होगा. इस फॉर्म के साथ ही आपको डी-लिंकिंग फॉर्म भी जमा करना होता है. आपको अपनी चेक बुक, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड भी बैंक में जमा कराने होते हैं.
सेविंग अकाउंट को एक साल के अंदर बंद कराने पर बैंक आपसे से कुछ चार्ज वसूलता है. एक साल से ज्यादा पुराने बचत खाते को बंद करवाने पर बैंक कोई चार्ज नहीं लेते हैं.
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अगर आप लगातार 12 महीने तक अपने बचत खाते में कोई लेनदेन नहीं करते हैं तो बैंक उसे खाते को डिएक्टिव खाता मान लेगा. ऐसे खातों को डॉर्मेंट अकाउंट कहा जाता है.