करेंसी सर्कुलेशन में 2000 रुपए के नोट की हिस्सेदारी करीब 11 फीसदी है. रिजर्व बैंक ने कहा कि 2000 रुपए के नोट का लीगल टेंडर जारी रहेगा, लेकिन सर्कुलेशन से धीरे-धीरे वापस ले लिया जाएगा. लोगों से कहा गया कि वे 23 मई से 30 सितंबर के बीच बैंक जाकर दो हजार के नोट्स एक्सचेंज करवा लें या फिर अकाउंट में जमा कर लें. बैंकों को तत्काल प्रभाव से नया नोट जारी नहीं करने को कहा गया. यहां एक बड़ा सवाल उठता है कि इससे बैंकों पर किस तरह असर होगा?

2000 रुपए के नोटों की वैल्यु 3.62 लाख करोड़

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वर्तमान में 2000 रुपए के नोटों की वैल्यु 3.62 लाख करोड़ रुपए है जो 30 सितंबर 2023 तक बैंकों के पास वापस जमा हो जाएंगे. जाहिर सी बात है कि इससे बैंकों  का डिपॉजिट बढ़ जाएगा. RBI की तरफ से यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ के मुकाबले डिपॉजिट ग्रोथ पिछड़ रहा है. आसान शब्दों में समझें तो बैंक के लोन बांटने की रफ्तार के मुकाबले बैंक में जमा होने की रफ्तार कम है. ऐसी परिस्थितियों में बैंकों को डिपॉजिट रेट्स बढ़ाकर ग्राहकों को आकर्षित करना पड़ता है.

डिपॉजिट रेट्स बढ़ाने का दबाव कम होगा

रॉयटर्स में छपी रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी ICRA के ग्रुप हेड कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा कि  RBI के इस फैसले से बैंकों का डिपॉजिट्स तेजी से बढ़ेगा और डिपॉजिट रेट्स बढ़ाने का दबाव  कम होगा. इसके अलावा बैंकों की लिक्विडिटी में सुधार देखने को मिलेगा. बॉन्ड मार्केट को लेकर इन्होंने कहा कि बैंकों की लिक्विडिटी में सुधार आने से शॉर्ट टर्म के गवर्नमेंट सिक्योरिटीज पर इंटरेस्ट रेट में गिरावट आ सकती है.

सर्कुलेशन में कैश की हिस्सेदारी घटेगी

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्सिवेसज (Emkay Global Financial Services) की इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा कि 2000 रुपए के सभी नोट जब वापस बैंकिंग सिस्टम में आ जाएगा तो सर्कुलेशन में कैश की हिस्सेदारी घट जाएगी. इससे बैंकों की आर्थिक सेहत में सुधार होगा. 

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