मकान हर किसी की जरूरत है, लेकिन मकान खरीदना कोई मामूली बात नहीं है. आजकल एक साधारण सा फ्लैट खरीदने के लिए भी लाखों का अमाउंट देना पड़ता है. इतना अमाउंट एकमुश्‍त जुटा पाना हर किसी के लिए मुश्किल नहीं होता. ऐसे में होम लोन का विकल्‍प काम आता है. होम लोन से पैसों की जरूरत भी पूरी हो जाती है और आपको लोन की रकम को किस्‍तों में चुकाने का ऑप्‍शन भी मिल जाता है. लेकिन लोन एक जिम्‍मेदारी होती है, जो लंबे समय तक आपके साथ रहती है, इसलिए होम लोन लेने से पहले कुछ बातो के बारे में अच्‍छी तरह से समझ लें, जिससे आपको आगे किसी तरह की परेशानियां न झेलनी पड़ें. 

ईएमआई की तारीख का चुनाव सोच समझकर करें

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होम लोन हो या कोई और लोन, सभी को आप मा‍सिक ईएमआई देकर चुकाते हैं. ईएमआई को निर्धारित तिथि पर देना जरूरी होता है. अगर आपकी ईएमआई बाउंस हुई, तो आपके लिए मुश्किल हो सकती है. इसलिए ईएमआई की तारीख का चुनाव सोच समझ कर करें. ईएमआई चुकाने के दो विकल्‍प होते हैं, जो कि आपको नहीं बताए जाते.  लोन की किस्त की तारीख आमतौर पर महीने की शुरुआत में होती है, इसे एडवांस EMI कहते हैं. अगर आपको लगता है कि आप महीने की शुरुआत में रकम चुका पाने में असमर्थ हैं, तो बैंक से एरियर ईएमआई का विकल्‍प ले सकते हैं. इसमें आप महीने के आखिर में किस्त चुकाते हैं.

ईएमआई बाउंस होने पर होता है ये ऑप्‍शन

अगर आपकी ईएमआई बाउंस हो जाती है और आपके पास इसका वाजिब कारण है, तो घबराएं नहीं. आपको बैंक से एक नोटिस मिलेगा, जो कि रिमाइंडर नोटिस होता है. नोटिस मिलने के बाद आपके पास लोन चुकाने के लिए आपके पास 60 दिन का समय होता है. जब आप इस अवधि में भी लोन नहीं चुकाते हैं, तब बैंक आपको फाइनल नोटिस भेजेगा, जिसकी अवधि 30 दिन की होगी. इसके बाद भी अगर आप लोन नहीं चुकाते तो बैंक आपके ऊपर सरफेसी एक्ट के तहत प्रॉपर्टी की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकता है.

बिल्‍डर से मकान का सौदा किया है तो

बैंक को दिए गए चेक पर अपने हस्ताक्षर की जांच कर लें. साइन न होने, नहीं मिलने और चेक वापस होने की पेनाल्टी भी धारक की होती है. अगर आपने मकान का सौदा बिल्‍डर से किया है तो लोन लेने से पहले बिल्‍डर की जमीन के दस्‍तावेज जरूर देखें. बाद में किसी तरह की दिक्‍कत होने पर बैंक बीच में लोन की रकम रोक सकता है और जितनी रकम बैंक दे चुका है, उसका भुगतान आपको करना पड़ेगा.

ऐसे जल्‍दी खत्‍म करें लोन

चूंकि लोन की लायबिलिटी लंबे समय की होती है, ऐसे में इसे समय से खत्‍म करना भी जरूरी है. इसके लिए आप लोन प्रीपेमेंट कर सकते हैं. आपको कहीं से भी अतिरिक्‍त आमदनी होती है, तो आप उस रकम का इंतजाम प्रीपेमेंट के तौर पर कर सकते हैं. इससे आप लोन की अवधि को घटा सकते हैं या ईएमआई को छोटा कर सकते हैं.

ब्‍याज दर ज्‍यादा बढ़ने पर ये ऑप्‍शन आ सकता है काम

आपको होम लोन जितने ब्‍याज पर दिया गया है, आगे भी ब्‍याज दर उतनी ही रहेगी, ऐसा नहीं है. बैंक की ब्‍याज दरों में समय-समय पर बदलाव होता रहता है. लेकिन अगर आपको लगता है कि आपका बैंक बहुत ज्‍यादा ब्‍याज ले रहा है और दूसरे बैंक में आपको कम ब्‍याज में कर्ज मिल रहा है, तो आप लोन रीफाइनेंसिंग के विकल्‍प को चुन सकते हैं.