घर खरीदने से पहले अक्सर लोग यह जानना चाहते हैं कि उन्हें होम लोन मिल सकता है या नहीं. अगर मिलेगा तो कितना मिलेगा. खास तौर पर पहली बार होम लोन लेने वालों के लिए क्या जरूरी है. आम तौर पर आप घर/फ्लैट खरीदने, प्लाट या कंस्ट्रक्शन/रिनोवेशन के लिए होम लोन लेते हैं. कई बार होम लोन मकान को बढ़ाने या रिपेयर करने के लिए भी लिया जाता है. हम यहां आपको होम लोन के बारे में सभी जरुरी जानकारी दे रहे हैं.

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ध्यान रखें किस लिए ले रहे हैं होम लोन

अक्सर लोग पहली बार जब घर खरीदते हैं, तब उन्हें लोन की आवश्यकता होती है. दूसरी बार घर खरीदने पर होम लोन लेने वालों के लिए ज्यादातर बैंकों की पॉलिसी अलग होती है. इसलिए जरूरी है कि आप यह ध्यान रखें कि आप किस वजह से लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं.

आप कितना लोन ले सकते हैं? 

होम लोन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले इस बात का आंकलन करें कि आपकी कमाई कितनी है. आपकी कमाई के हिसाब से बैंक कितना लोन दे सकते हैं. आपकी होम लोन लेने की क्षमता उसे चुकाने की क्षमता पर निर्भर करती है. आपकी मासिक कमाई, खर्च और परिजनों की कमाई, संपत्ति, देनदारी, आय में स्थिरता जैसे मामलों पर लोन निर्भर करता है. बैंक सबसे पहले यह देखते हैं कि आप समय पर होम लोन चुका पाएंगे या नहीं. 

जितनी आय, उतना लोन

हर महीने आपके हाथ में जितनी ज्यादा रकम आती है, आपके होम लोन की राशि उतनी बढ़ती जाएगी. आमतौर पर कोई बैंक या कर्ज देने वाली कंपनी यह देखती है आप मासिक आय का 50 फीसदी होम लोन की किस्त के रूप में दे पाएंगे या नहीं. होम लोन की अवधि और ब्याज दर पर भी लोन अमाउंट निर्भर करता है. इसके अलावा बैंक होम लोन के लिए उम्र की ऊपरी सीमा भी फिक्स करते हैं.

आपको कितना ज्यादा होम लोन मिल सकता है? 

किसी मकान या फ्लैट की कीमत का 10 -20 फीसदी तक डाउन पेमेंट के रूप में जाता है. यह राशि आपको देनी होती है. इसके बाद प्रॉपर्टी की कीमत का 80-90 फीसदी तक लोन मिल जाता है. इसमें रजिस्ट्रेशन, ट्रांसफर और स्टांप ड्यूटी जैसे चार्ज भी शामिल होते हैं. प्रॉपर्टी खरीदते वक्त आपको अधिक से अधिक डाउन पेमेंट करना चाहिए, जिससे लोन का बोझ कम से कम रहे. होम लोन पर कर्ज देने वाला बैंक लंबी अवधि में आपसे काफी ब्याज वसूलता है, इसका ध्यान रखें.

कौन से कागजात चाहिए? 

होम लोन के एप्लिकेशन फॉर्म में डॉक्यूमेंट की चेकलिस्ट होती है. घर खरीदने के कानूनी कागजात से लेकर आइडेंटिटी और रेजिडेंस प्रूफ के साथ सैलरी स्लिप (ऑफिस से सत्यापित और खुद से अटेस्टेड) और फॉर्म 16 या आयकर रिटर्न के साथ बैंक का पिछले छह महीने की स्टेटमेंट तक देना पड़ता है. इसके अलावा कुछ बैंक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, शेयर के कागजात, एनएससी, म्यूचुअल फंड, बैंक डिपॉजिट या दूसरे निवेश के कागजात भी गिरवी के तौर पर मांगते हैं.