सरकार अब बैंकों से नकद निकासी पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक, सरकार बैंक से एक साल के भीतर 10 लाख रुपये की नकद निकासी पर टैक्स लगाने का प्लान बना रही है. इसका मकसद डिजिटल लेनदेन को बढ़ावे देने के साथ कालेधन पर रोक लगाना भी है. बड़ी रकम निकालने वालों की पहचान करना और उनके टैक्स रिटर्न की पहचान करना भी इस प्लान के पीछे सरकार का बड़ा उद्देश्य है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि पिछले हफ्ते 6 जून को क्रेडिट पॉलिसी जारी करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने एनईएफटी (NEFT) और आरटीजीएस (RTGS) पर लगने वाले चार्ज को हटाने का ऐलान किया था. 

आधार नंबर भी जरूरी होगा

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगले महीने पेश होने वाले बजट में सरकार 10 लाख रुपये की निकासी पर टैक्स लगाने पर विचार कर रही है. 10 लाख रुपये की निकासी के लिए आधार नंबर जरूरी होगा और उसके लिए आधार आधारित ओटीपी के जरिए ही कोई आदमी बैंक से 10 लाख रुपये की रकम निकाल सकता है. सरकार का मानना है कि अधिकांश व्यक्तियों और व्यवसायों को 10 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक नकदी निकासी की आवश्यकता नहीं पड़ती है. 

 

जानकार बताते हैं कि इस टैक्स का मकसद बड़ी निकासी करने वाले लोगों की पहचान और उनके टैक्स रिटर्न की मिलान करना है. अभी मनरेगा लाभार्थियों को नकद निकासी के लिए आधार प्रमाणीकरण की जरूरत होती है लेकिन सामान्य तौर पर 5 लाख रुपए तक नकद निकालने वालों के लिए इसकी बाध्यता नहीं है. 

अभी 50,000 रुपये से अधिक की निकासी के लिए पेन कार्ड जरूरी होता है. 2006 में भी यूपीए सरकार की तरफ से इसी तरह का टैक्स लगाया गया था, लेकिन भारी विरोध के चलते उसे वापस लेना पड़ा था.