Jan-Dhan खाताधारकों के लिए खुशखबरी! मिलेंगी कुछ नई सुविधाएं, जानिए सरकार का प्लान
PMJDY: जनधन स्कीम के 9 साल पूर हो गए. 50 करोड़ से ज्यादा अकाउंट खुल चुक हैं. इनमें 2 लाख करोड़ से ज्यादा डिपॉजिट हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस योजना का ऐलान किया था.
9 Years of PMJDY: प्रधानमंत्री जन-धन योजना में खुले खाताधारकों को कुछ नई सुविधाएं मिलेंगी. सरकार ने फाइनेंशियल इन्क्लूसन के अंतर्गत जनधन खाताधारकों को माइक्रो इंश्योरेंस समेत कई अन्य फायदे देने की तैयारी में हैं. जनधन योजना के 9 साल पूरे होने पर वित्त मंत्रालय ने स्कीम के बारे में आगे की प्लान की जानकारी दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस योजना का ऐलान किया था. PMJDY की शुरुआत से लेकर अब तक 50 करोड़ से भी ज्यादा लाभार्थियों को बैंकिंग सुविधा दी गई है. जनधन खातों में कुल जमा रकम 2,03,505 करोड़ रुपये है . अकाउंट्स की संख्या 3.4 गुना बढ़कर 50.90 करोड़ हो गई है. मार्च 2015 में जनधन खातों की संख्या 14.72 करोड़ थी.
PMJDY: आगे क्या है सरकार का प्लान
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सूक्ष्म बीमा स्कीम्स के अंतर्गत PMJDY खाताधारकों की कवरेज सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा. PMJDY के एलिजिबल खाताधारकों को PMJJBI और PMSBI के अंतर्गत कवर करने का प्रयास किया जाएगा. बैंकों को इस बारे में पहले ही जानकारी दी जा चुकी है. पूरे भारत में स्वीकार्य इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के जरिए PMJDY खाताधारकों के बीच रुपे डेबिट कार्ड के इस्तेमाल सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जाएगा. PMJDY खाताधारकों की पहुंच सूक्ष्म-ऋण और सूक्ष्म निवेश जैसे कि फ्लेक्सी- रिकवरिंग डिपॉजिट तक बढ़ाई जाएगी.
56% जन-धन खाताधारक महिलाएं
PMJDY की की 9वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, जनधन के 9 साल में भारत में फाइनेंशियल इन्क्लूसन में क्रांति ला दी है. जनधन खाते 50 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को औपचारिक बैंकिंग सिस्टम में लाया गया है. इनमें करीब 55.5 फीसदी अकाउंट महिलाओं के हैं. 67 फीसदी अकाउंट ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं. इन अकाउंट्स में कुल जमा रकम बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गई है.
इसके अलावा, इन अकाउंट्स के लिए करीब 34 करोड़ ‘रुपे कार्ड’ बिना किसी शुल्क के जारी किए गए हैं, जिसके अंतर्गत 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने कहा़ ‘जन धन-आधार-मोबाइल (JAM)’ ने आम आदमी के अकाउंट्स में सरकारी स्कीम्स का फायदा पहुंचा. PMJDY अकाउंट्स डीबीटी जैसी जन-केंद्रित पहल का आधार बन गए हैं और इसने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर वंचितों के समावेशी विकास में अहम योगदान दिया है.
PMJDY का मकसद
- अफोर्डेबल फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स और सर्विसेज तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करना
- लागत कम करने और लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना
- बैंकिंग सुविधाओं से वंचित लोगों को यह सुविधाएं उपलब्ध कराना
- मिनिमम डॉक्यूमेंट्स के साथ बुनियादी बचत बैंक जमा (BSBD) अकाउंट खुलवाना
PMJDY की कुछ विशेषताएं
- बैंकिंग सेवाओं तक सभी की पहुंच - ब्रांच और BC
- प्रत्येक एलिजिबल वयस्क को 10,000/- रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ BSBD अकाउंट
- फाइनेंशियल लिट्रेसी प्रोग्राम– बचत को बढ़ावा देना, एटीएम का उपयोग, डेट के लिए तैयार होना, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाना, बैंकिंग के लिए बेसिक मोबाइल फोन का इस्तेाल करना
- लोन गारंटी फंड बनाना – बैंकों को डिफॉल्ट के खिलाफ कुछ गारंटी देना
- असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना
PMJDY की अवधि बढ़ाई गई
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, नई सुविधाओं के साथ PMJDY की अवधि बढ़ाई गई. सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ व्यापक PMJDY प्रोग्राम की अवधि को 28 अगस्त 2018 से आगे बढ़ाने का निर्णय किया. इसका फोकस ‘हर परिवार’ से हटाकर ‘बैंकिंग सुविधाओं से वंचित प्रत्येक वयस्क’ पर किया गया. 28 अगस्त 2018 के बाद खोले गए PMJDY अकाउंट्स के लिए रुपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया. ओवरड्राफ्ट (OD) लिमिट को 5,000 रुपये से दोगुना कर 10,000 रुपये कर दिया गया. इसमें 2,000 रुपये तक OD (बिना शर्त के) की गई. OD के लिए मैक्सिमम आयु सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 साल की गई.
UPI जैसी मोबाइल आधारित पेमेंट सिस्टम शुरू होने से डिजिटल लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 1,471 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 11,394 करोड़ हो गई है. यूपीआई फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8,371 करोड़ हो गई है. इसी तरह पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड से लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ हो गई है.
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